भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है अब तो.

Friday, August 28, 2009

चालीस रुपये का सेब

एन ऐपल ए डे कीप्स डाक्टर अवे,
मास्टरजी ने पढाया बच्चों को,
पर खुद गड़बड़ा गए,
एक सेब चालीस रुपये का,
घर में पांच जन,
दो सौ रुपये के सेब हर दिन,
काफी महंगा हो गया है,
कहावतों को जीवन में चरितार्थ करना.

दाल रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ,
एक बच्चा बोला,
गुरूजी पहले खुद खाकर दिखाओ,
सौ रुपये किलो दाल,
क्या खाओगे, क्या गाओगे,
कहावत बदल दो,
सूखी रोटी खाओ, प्रभु के गुण गाओ.

सुरक्षा गार्डों से घिरे एक मकान के,
एक अँधेरे कमरे में,
मोमबत्ती जला कर,
घुटनों के बल बैठे थे वह,
हाथ जुड़े थे, आँखें बंद,
कुछ यों बुदबुदा रहे थे,
हे जिन्ना महाराज,
आप बड़े दयालू हैं, कृपालू हैं,
ऐसे ही घमासान चलता रहे,
विरोधी खेमें में,
मेरी कुर्सी सुरक्षित रहे,
फिर पांच साल तक.

Saturday, August 22, 2009

सरकारी जमीन पर कब्जा करने का आत्मिक सुख

आज सुबह पार्क में सिन्हा साहब बहुत खुश नजर आ रहे थे. मुहाबरे की भाषा में कहें तो, ख़ुशी फूटी पड़ रही थी उनके चेहरे पर. बैसे ध्यान से देखने पर अत्यधिक प्रसन्न सिन्हा साहब के चेहरे पर कुछ परेशानी भी नजर आ रही थी. अत्यधिक प्रसन्नता और कुछ परेशानी का ऐसा अद्भुत संगम मैंने पहले कभी नहीं देखा था. कई लोगों ने पूछा पर उन्होंने अपनी इस प्रसन्नता और परेशानी को किसी के साथ बांटा नहीं था. जब मेरी उत्सुकता मुझे परेशान करने लगी तो मैं भी उनके पास पहुँच गया.
मुझे देखते ही बोले, 'दीवान साहब नहीं आये अभी तक?'
दीवान साहब उनके लंगोटिया यार हैं. तो यह कारण था उनकी परेशानी का. ख़ुशी की बात दीवान साहब को न बता पाने के कारण परेशान थे सिन्हा साहब. खैर यह परेशानी ज्यादा देर नहीं रही. दीवान साहब भी आ गए.
सिन्हा साहब ने अपनी शिकायत दर्ज कराई, 'कहाँ रह गए थे यार? इतनी देर से इंतज़ार कर रहा हूँ.'
'यार कल रात दारू पार्टी ज्यादा देर तक चली. उठने में देर हो गई', सिन्हा साहब ने सफाई दी और पूछा, 'तुम कहाँ रहे कल? पार्टी में नहीं आये'.
'अरे यही तो बताना है तम्हें' सिन्हा साहब ने कहा और दीवान साहब का बाजू पकड़ कर उन्हें झाडियों की तरफ ले गए.
मैं भी खिसका और झाडियों की दूसरी तरफ छिप कर खड़ा हो गया. सिन्हा साहब ने दीवान साहब को जो बताया वह मैं आपको बता रहा हूँ, पर इस शर्त के साथ कि आप किसी और को नहीं बताएँगे.
दीवान साहब, 'हाँ अब बताओ.'
सिन्हा साहब, 'यार तुम तो जानते ही हो कि ईश्वर ने मुझे हर गलत काम करने का आत्मिक सुख दिया, पर सरकारी जमीन पर कब्जा करने के आत्मिक सुख से अभी तक बंचित कर रखा था. कल वह सुख भी प्राप्त हो गया'.
दीवान साहब, 'भई वधाई हो, अब जल्दी से खुलासा कर के बताओ'.
सिन्हा साहब, 'तुम्हे पता ही है कि मैं बेटे की शादी कर रहा हूँ और उस के लिए मकान में कुछ फेर बदल करवा रहा हूँ'.
दीवान साहब, 'हाँ हाँ मालूम है, अब आगे कहो'.
सिन्हा साहब, 'दो दिन से पिछले कमरे में काम चल रहा था कि तुम्हारी भाभी ने एक आइडिया दिया. क्यों न सड़क की तरफ दीवार बढा कर एक अलमारी और एक स्टोर बना लें? इस से कमरे में जगह भी खूब मिल जायेगी और सरकारी जमीन पर कब्जा करने का तुम्हारा सपना भी पूरा हो जाएगा. मेरी तो बांछे खिल गई यार, क्या आइडिया दिया था बीबी ने'.
दीवान साहब, 'वाह क्या बात है. किसी ने सही कहा है कि हर सफल आदमी के पीछे एक औरत होती है'.
सिन्हा साहब, 'हाँ यार, भगवान् ऐसी बीबी किसी दुश्मन को न दे. कल रात जा कर यह महान काम पूरा हुआ. तब से एक गहरे आत्मिक आनंद का अनुभव कर रहा हूँ'.
दीवान साहब, 'लेकिन लोग ऐतराज नहीं करेंगे क्या? सड़क बैसे ही काफी तंग है, अब तो और भी तंग हो जायेगी'.
सिन्हा साहब, 'अरे यार यह बात तो मेरे इस आत्मिक आनंद को दुगना कर रही है. आपके कारण पडोसी परेशान हों, इसी में तो मनुष्य जीवन की सफलता है. एक मीठी गुदगुदी सी महसूस कर रहा हूँ अपने अन्दर. आज जब दिन में सब देखेंगे और जलेंगे तो कितना आनंद मिलेगा हमें'.
दीवान साहब, 'अगर किसी ने शिकायत कर दी तो?'.
सिन्हा साहब, 'अरे वह तो शायद कर भी चुके लोग. पुलिस वाले और नगर निगम वाले आये थे और अपनी भेंट ले कर चले गए. अब माता रानी को भेंट और चढानी है. आखिर उनकी कृपा से ही तो यह सब संभव हुआ है'
दीवान साहब, 'वधाई हो, अब मिठाई कब खिला रहे हो?'.
सिन्हा साहब, 'क्या यार तुम भी, मिठाई नहीं दारू और मुर्गे की बात करो. माता रानी की कृपा हुई है, क्या मिठाई से निपटा दूंगा? फाइव स्टार में पार्टी होगी यार'.
दीवान साहब, 'जय माता रानी की. चलो अब चलते हैं, माँ की कृपा के दर्शन तो कर लें'.

Monday, August 17, 2009

वह जमानत पर रहेंगे

उनकी जमानत की अर्जी मंजूर हो गई,
सरकारी वकील की बहस नामंजूर हो गई,
अदालत में फिर एक बार साबित हो गया,
कानून अँधा नहीं है,
वह अपराधी को देखता है,
उसके परिवार के देखता है,
उसके सोशल स्टेटस को देखता है,
और वह कोई चपरासी नहीं थे,
वह तो थे सुपुत्र एक महान नेता के,
दलितों के आयोग के मुखिया के,
और कोई पांच रुपये की रिश्वत का मामला नहीं था यह,
एक करोड़ की रिश्वत का मामला था,
चपरासी होते तो नौकरी जाती,
जेल भी जाते,
अदालत ने चिंता जतायी,
अगर जेल में उनका चरित्र बिगड़ गया तो?
किसी अपराधी ने उन्हें छू लिया तो?
एक करोड़ से पांच रुपये का पतन,
अदालत को बर्दाश्त नहीं हुआ,
और एक महान निर्णय आया,
वह जमानत पर रहेंगे,
अपने घर,
अपने महान पिता की गोद में.

Thursday, August 6, 2009

महान लोगों द्बारा स्थापित महान आदर्श

बूटा जी का आदर्श - अगर इस्तीफा देने को कहा तो जान दे दूंगा.
मीरा जी का आदर्श - भले ही लाखों जीवित हिंदुस्तानिओं के सर पर छत न हो, मुझे मेरे मृत पिता के लिए आलीशान मकान चाहिए.
जजों के आदर्श - हमसे व्यक्तिगत संपत्ति का व्योरा देने के लिए कहना न्याय पालिका का अपमान है. देखते नहीं अदालत में हमारी कुर्सी सबसे ऊंची होती है.
जजों का एक और आदर्श - जनता का सूचना अधिकार हम पर लागू नहीं होता.
माया का आदर्श - जनता भूखी है तो यह उसका प्रारब्ध है. सूखा प्रदेश में मेरी और हाथिओं की मूर्तियाँ हरियाली की वर्षा करेंगी.
ममता का आदर्श - जो मैंने कह दिया वही सच है, शाश्वत है, सनातन है, भले ही गलत कह दिया हो.
कांग्रेस का आदर्श - पार्टी और सरकार कब साथ और कब अलग है यह फैसला मालकिन करेंगी.
बीजेपी का आदर्श - चुनाव हरा कर हमसे आदर्श की उम्मीद करते हो?
हारे हुए नेताओं के आदर्श - एक बार सरकारी मकान में घुस गए तो उस से बाहर न निकलना हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है.

Wednesday, August 5, 2009

वर्ल्ड क्लास शहर का वर्ल्ड क्लास पार्क

समझ नहीं पाता हूँ मैं,
शिकायत करुँ या करुँ धन्यवाद?
दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार,
कौन है धन्यवाद का हकदार?
सांसद, एम्एलए, पार्षद,
किसे पहनाऊं प्रशंसा का हार?
उपराज्यपाल, डीडीए उपाध्यक्ष,
किस की प्रशंसा का हूँ मैं कर्जदार?
डीडीए डिस्ट्रिक्ट पार्क पश्चिम पुरी,
गढ़ रहा है नए मानक लगातार,
इंसान करते हैं योग, प्राणायाम,
पास मैं सूअर करते हैं विहार,
गाय चरती हैं कूड़ा पार्क में,
कुतिया करती है बच्चों से दुलार,
युवा चलाते हैं वाइक पार्क में,
बच्चे रहते हैं साइकिल पर सवार,
अम्मा फेंकती हैं कूड़ा पार्क में,
बाबा बीड़ी पी कर करते हैं हवा में सुधार,
भैया टहलाते हैं कुत्ता पार्क में,
भाभी की आँखों से छलकता है प्यार,
बच्चे दौड़ते हैं क्यारियों में,
फूल तोड़ता है परिवार,
क्रिकेट और फुटबाल खेलकर,
घास का करते जीर्णोद्दार
खाली बोतल खोजते बीपीएल बच्चे,
दारू पीकर फेंक गए थे छोटे सरकार,
कल मनाई थी पिकनिक पार्क में,
कूडादान करता रहा इंतज़ार,
वर्ल्ड क्लास शहर है दिल्ली,
बारी जाऊं मैं बारम्बार,
क्लिक करो यदि निम्न लिंक पर,
खुल जायेंगे चित्र हज़ार.

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