नेताजी अपनी बड़ी सी वेन में चले जा रहे थे कि उन्होंने देखा कि एक मैदान में एक आदमी, एक औरत और दो बच्चे घास खा रहे हैं. उन्होंने वेन रुकवाई और उनके पास जाकर पूछा तो आदमी बोला, 'हमारे पास न रोजगार है और न ही खाने को अनाज. कई दिन से हम घास खा कर गुजारा कर रहे हैं'.
नेता जी की आंखों में आंसू आ गए, बोले, 'तुम सब मेरे घर चलो'.
उस आदमी को यह सुन कर आश्चर्य हुआ, पर कुछ सोच कर वह अपने परिवार के साथ वेन में बैठ गया. कुछ आगे चलने पर वह बोला, 'आप जैसे दयालु नेता कम ही होते हैं जो भूखे आदमियों को खाना खिलाएं'.
नेता जी कहा, 'अरे ऐसी कोई बात नहीं है, मैं जो भी कर रहा हूँ एक नेता होने के नाते ही कर रहा हूँ. मैं तुमें खाना खिलाने नहीं ले जा रहा हूँ. दरअसल बात यह है कि मेरे गार्डन में दो-दो फुट घास उग आई है. मैं तम्हें वह घास खिलाने ले जा रहा हूँ'.
एक विमान का अपहरण हो गया जिसमें सौ से ज्यादा नेता सवार थे. यह ख़बर सुन कर जनता खुशी से नाचने लगी. लेकिन यह खुशी ज्यादा देर नहीं रही, अपहरणकर्ता ने कहा कि अगर हमारी मांगे नहीं मानी गईं तो हम एक-एक करके नेताओं को रिहा करना शुरू कर देंगे'.
महा-नेता राज ठाकरे और उनके वीर महा-सैनिक मुंबई हमले के दौरान कहाँ छिपे रहे यह उन्हें भी नहीं पता. गैर-महामानुस गए मुंबई को बचाने.