भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है अब तो.

Wednesday, January 28, 2009

कुछ चुटकुले

नया साल शुरू हुआ है. इस साल की पहली चुटकुला पोस्ट हाजिर है. 

फ्रिज बिकाऊ है
हमारे एक मित्र कानून का बहुत सम्मान करते हैं. उन्होंने एक नया फ्रिज ख़रीदा. अब समस्या थी कि पुराने फ्रिज का क्या करें. उन्होंने एक एजेंसी से बात की कि पुराने फ्रिज को बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए डिस्पोज करने में कितने रुपए  लगेंगे. एजेंसी ने एक मोटा खर्चा बता दिया. मित्र ने कुछ सोच कर फ्रिज घर के बाहर बगीचे में रख दिया और उस पर एक बोर्ड लगा दिया - आप चाहें तो इसे मुफ्त अपने घर ले जा सकते हैं. हफ्ता गुजर गया पर किसी ने फ्रिज को हाथ भी नहीं लगाया. मित्र ने फ़िर सोचा और बोर्ड बदल दिया. अब उस पर लिखा था - फ्रिज बिकाऊ है, मात्र ५०० रुपए. दूसरे दिन फ्रिज चोरी हो गया. 

फ़िर धो दो
मित्र की पत्नी ने घर बजट में बचत करने के लिए अपनी एक ड्रेस को ड्राई-क्लीन न करवा कर घर में ही धो लिया. पति को प्रभावित  करने के लिए उन्होंने यह बात उन्हें बताई और कहा देखो मैंने ५० रुपए बचा लिए. पति अखबार पढने में व्यस्त थे. उन्होंने कहा, 'एक बार फ़िर धो लो, ५० रुपए और बच जायेंगे'. 

पिज्जा 
मित्र घर वापस जाते हुए बाज़ार होते हुए निकले. एक पिज्जा की दूकान पर पहुंचे और एक पिज्जा पैक करने का ऑर्डर दिया. दूकानदार ने पूछा कि पिज्जा के चार टुकड़े करें या छै. मित्र ने काफ़ी देर सोचा और बोले, 'चार टुकड़े करना, क्योंकि मुझे इतनी भूख नहीं लगी है कि छै टुकड़े खा सकूं'. 

अब कौन घोषणा करेगा?
पहले तेल मंत्री ने, फ़िर ग्रह मंत्री ने, फ़िर कांग्रेस माता ने घोषणा की कि पेट्रोल और डीजल की कीमत कम हो सकती है. मित्र जो काफ़ी समय से कीमत कम होने की प्रतीक्षा कर रहे थे बहुत झल्लाए, 'अरे अब बस भी करो, कितनी लम्बी लिस्ट है घोषणा करने वालों की? लिस्ट छाप दो, हमें पता लग जायेगा कि अब कौन घोषणा करेगा. साले घोषणा किए जा रहे हैं, कीमतें कम नहीं करते'.

अब किसका नंबर है?
प्रधान मंत्री अस्पताल चले गए आपरेशन करवाने. अब स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं. 
घोषणा हुई कि विदेश मंत्री प्रधान मंत्री का काम देखंगे.वह श्रीलंका चले गए उनकी समस्या सुलझाने. 
घोषणा हुई कि रक्षा मंत्री प्रधान मंत्री का काम देखंगे. 
मित्र बहुत झल्लाए, 'यह पाकिस्तान चले जायेंगे उनकी समस्या सुलझाने. इनके बाद किसका नंबर है?'
फ़िर ख़ुद ही सुझाव दिया, 'सब को बाहर भेज दो और राहुल को प्रधान मंत्री बना दो. रिहर्सल हो जायेगा लोक सभा चुनाव के बाद प्रधान मंत्री बनने का'. 

आतंकियों को गोली मार दी
विश्वस्त सूत्रों से ख़बर मिली है कि कुछ आतंकियों को पाकिस्तान में गोली मार दी गई है. यह घटना यह बात पता चलने पर हुई कि गणतंत्र दिवस परेड में अभूतपूर्व सुरक्षा के वाबजूद किसी ने एक जापानी राजनयिक का बैग चुरा लिया. उनका अपराध यह माना गया कि जब एक टुच्चा चोर अन्दर घुस कर बैग चुरा सकता है तो तुम साले यहाँ पाकिस्तान में क्या भाड़ झोंक रहे थे. मुंबई में तम्हारे कुछ साथी क्या मर गए कि तुम सबकी हवा निकल गई. 'गणतंत्र दिवस परेड में अभूतपूर्व सुरक्षा है' का बहाना बना कर साले हिन्दुस्तान से भाग कर घर आ गए. लो अब वहां नहीं मरे तो यहाँ मरो. 

चोर मीडिया
राहुल के कुछ कागज़ चोरी करने का इल्जाम टीवी वालों पर लगाया गया है. क्या था उन कागजों में? 

Sunday, January 25, 2009

पार्क में योग - बेचारे योगी

स्वामी रामदेव ने योग को आम आदमी का योग बना दिया है. अब आपको किसी योग संस्थान में जाने की जरूरत नहीं है. स्वामी जी के एक सप्ताह के योग शिविर  में भाग लीजिये और योग प्रारंभ कर दीजिये. यह भी न कर पायें तो टीवी पर उनका कार्यक्रम देखिये और योग शुरू कर दीजिये. आज कल किसी पार्क में जाइए, आपको लोग प्राणायाम करते नजर आ जायेंगे. कोई अकेले, कोई दुकेले. कहीं स्वामी जी से योग शिक्षण लिए हुए कोई सज्जन योग की क्लास चला रहे हैं. 

में जिस पार्क में जाता हूँ वहां भी इसी तरह की एक योग क्लास चलती है. पुरूष और महिलायें दोनों ही उस में भाग लेते हैं. पर बेचारे यह योगी पार्क के मालियों द्वारा बहुत तंग किए जाते हैं. यह पार्क डीडीऐ का एक डिस्ट्रिक्ट पार्क है, पर बहुत ही दयनीय स्थिति में है. दिन में माली पार्क में पानी चला देते हैं. शायद वह ऐसा पार्क में घास उगाने के लिए करते हैं, पर यह सिर्फ़ समय और पानी की बर्बादी है. पार्क में सूअर और कुत्ते बिना रोक टोक के घूमते हैं. कभी-कभी तो लगता है कि डीडीऐ ने यह पार्क इंसानों के लिए नहीं, सूअर और कुत्तों के लिए बनाया है. इन्होनें पार्क की अधिकतर जमीन को खोद डाला है. हरी घास ख़त्म हो गई है और जमीन नंगी हो गई है. अब वहां घास उगने की कोई सम्भावना नहीं है. फ़िर भी न जाने क्यों माली रोज पानी चला देते हैं. शायद ऐसा करके वह समझते हैं कि उन्होंने अपना कर्तव्य पूरा कर दिया है. 

इंसानों की तरह पार्कों में भी वीआइपी पार्क होते हैं. इस पार्क की गिनती तो लगता है आम पार्कों में भी नहीं होती, वरना सूअर और कुत्तों का पार्क में क्या काम. दिल्ली में ऐसे कितने डीडीऐ  के पार्क हैं जिन पर किसी भी शहर को गर्व हो सकता है, पर एक पार्क यह भी है जो शहर के नाम पर कलंक है. लोग यहाँ कूड़ा फेंकते हैं. पालतू कुत्तों को टहलाने लाते हैं, हालांकि  इस पर पार्क के कुत्ते और सूअर ऐतराज करते हैं. जुआरी और शराबियों के लिए यह पार्क स्वर्ग है. घूमने के रास्ते कच्चे हैं, उबड़-खाबड़, जगह-जगह पत्थर बाहर निकले हुए, क्यारिओं से पानी इन रास्तों पर आ जाता है और कीचड़ हो जाती है. लोग फिसल जाते हैं. बरसात में तो इन रास्तों पर घूमना खतरा मोल लेना है. एक साल पहले पश्चिम पुरी के २५० निवासियों ने हस्ताक्षर करके एक ज्ञापन इस छेत्र के प्रतिनिधियों को दिया था - एमपी, विधायक, निगम पार्षद. पर कुछ नहीं हुआ. 

पार्क में रौशनी के नाम पर एक बल्ब भी नहीं जलता. आस-पास के लोग बल्ब, होल्डर, स्विच आदि को अपना मान कर अपने घर ले गए हैं. सुबह जब यह योगी पार्क में आते हैं तो अँधेरा होता है. बेचारे सब तरफ़ घूम कर कोई सूखी जगह तलाश करते हैं. मैं उन्हें रोज किसी नई जगह पर योग करते देखता हूँ. आज भी ऐसा ही हुआ. एक अन्तर जरूर था. आज केवल महिलायें ही आई थीं. न जाने किस कारण से पुरूष आज अनुपस्थित थे. क्योंकि आज केवल महिलायें ही थीं इसलिए योग कम और बात-चीत ज्यादा हुई. 

एक महिला पार्क की दुर्दशा पर बहुत खफा थीं. उन्होंने इस छेत्र के विधायक का नाम लेकर कहा कि उसे पकड़ कर लाओ और इस पार्क की दुर्दशा दिखाओ और उस से पूछो कि क्या इस लिए हमने उसे जिताया है. मुझे उनकी यह बात सुन कर बहुत हँसी आई. इस नेतातान्त्रिक देश में क्या कोई किसी नेता को पकड़ सकता है या उसे पकड़ कर कहीं ले जा सकता है? यह महिला सबके साथ रोज मां शारदा से प्रार्थना करती हैं - 
हे शारदे मां, हे शारदे मां,
अज्ञानता से हमें तार दे मां.
और फ़िर ऐसी अज्ञानता की बात करती हैं.
मां शारदा भी इनकी इस अज्ञानता पर मुस्कुरा रही होंगी. इन्हें इतना भी नहीं मालूम कि:
बड़े लड़ैया हैं यह नेता, इनकी मार सही न जाए,
एक को मारें दो मर जाएँ, तीसरा मरे सनाका खाए. 
नेता जी इस बार फ़िर जीत गए. गया पार्क खड्डे में पाँच साल के लिए. हो सकता है तब तक पार्क ही न रहे, पार्किंग लाट बन जाए, कोई माल बन जाए, नए वोट बेंक की झुग्गी-झोंपडी बन जाएँ. 

योग तो करते हैं लोग इस पार्क में, घूमते भी हैं, पर यह भी एक मजबूरी है, जाएँ तो जाएँ कहाँ? 

Wednesday, January 21, 2009

वर्ष २००९ का ऐतिहासिक रविवार !!!

अभी वर्ष २००९ पूरी तरह शुरू भी नहीं हुआ था कि एक ऐतिहासक घटना घट गई. मैं बराक ओबामा के अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने की बात नहीं कर रहा. मैं बात कर रहा हूँ भारत में घटी एक ऐतिहासिक घटना की. हुआ यह कि भारत के मनोनीत प्रधान मंत्री अपने ड्राइविंग लाइसेंस का नवीनीकरण करवाने आरटीओ दफ्तर गए. आज़ादी के बाद आज तक किसी प्रधान मंत्री ने ऐसा महान कार्य नहीं किया. यह भी हो सकता है कि महानता की ऐसी मिसाल पूरे विश्व में भी न हो. कहाँ दुनिया के सबसे बड़े प्रजातांत्रिक देश का प्रधान मंत्री (भले ही मनोनीत हो) और कहाँ एक टुच्चा सा आरटीओ दफ्तर.  कोई सपने में भी यह सोचने की हिमाकत नहीं कर सकता था कि प्रधान मंत्री वहां जायेंगे और वह भी एक टुच्चे  से ड्राइविंग लाइसेंस का नवीकरण करवाने. आप किसी दलाल को पैसे दीजिये और घर बैठे ड्राइविंग लाइसेंस का नवीकरण क्या, नया लाइसेंस ही बनवा लीजिये. हैरानी की बात यह है कि क्या उन्हें यह बात मालूम नहीं थी या उनके किसी सलाहकार ने उन्हें यह नहीं बताया कि यह काम तो कुछ ही पैसों में हो जाता, और इसके लिए देश का इतना महत्वपूर्ण समय और सुरक्षा पर लाखों रुपए खर्च करने की जरूरत नहीं थी. 

हमारे एक मित्र यह सुन कर कहने लगे कि मियाँ तुम समझते तो हो नहीं, बस इन महान लोगों के पीछे लेपटाप लेकर पड़े  रहते हो. अरे भई लोक सभा चुनाव का काउंट डाउन शुरू हो चुका है. अब ऐसे कई महानता के रिकार्ड कायम किए जायेंगे. उनकी पार्टी के एक प्रवक्ता ने पहले ही इस महान कार्य को दूसरों के लिए एक उदाहरण बता दिया है. बैसे तुम्हारे अटल जी भी तो यह महान कार्य कर सकते थे, क्यों नहीं किया उन्होंने? बस 'भारत चमक रहा है' चिल्लाते रहे और चुनाव हार गए. 
'अटल जी मेरे नहीं हैं', मैंने बुरा मानते हुए कहा, 'मैं तो कायदे की बात कर रहा हूँ'. 
'बस फ़िर वही पुराना राग, मियां इन राजनीतिबाजों का कायदे से क्या लेना-देना?' मित्र ने चुटकी ली, 'कायदे की बात करें तो अखबार में लिखा था कि लाइसेंस की मियाद एक महीने पहले ही ख़त्म हो चुकी थी'.
मैंने कहा, 'पर मेरे अखबार में तो लिखा था कि लाइसेंस की मियाद कुछ दिन और बाकी थी'. 
'और क्या लिखा था तुम्हारे अखबार में', मित्र ने पूछा.
'लो तुम ख़ुद ही पढ़ लो', हमने उस महान ख़बर वाला महान अखबार उन की तरफ़ बढ़ा दिया. 

अखबार के अनुसार प्रधान मंत्री ने लाइसेंस का नवीनीकरण रविवार को करवाया था. उस दिन दफ्तर विशेष रूप से खोला गया था. सम्बंधित अधिकारिओं और कर्मचारियों को छुट्टी के दिन विशेष रूप से दफ्तर बुलाया गया था. यह पढ़ कर हमारे मित्र झल्ला गए, 'इस में महानता की क्या बात है?, किसी आम आदमी के काम के लिए तो छुट्टी के दिन दफ्तर नहीं खोला जाता'. 
हमें हँसी आ गई, 'यार अब तो तुम बुरा मान रहे हो. प्रधान मंत्री की यह महानता देख कर अधिकारिओं और कर्मचारियों को भी महानता का अनुभव हो रहा था. उन्होंने छुट्टी के दिन दफ्तर बुलाने का बिल्कुल बुरा नहीं माना. प्रधान मंत्री आम आदमियों की तरह हर काम के लिए लाइन में लगे'.
'और लाइन में वह अकेले थे. यह नहीं कहोगे', मित्र ने फ़िर चुटकी ली.
'नहीं, उनके साथ उनकी पत्नी भी थीं. उन्होंने सोचा कि लगे हाथ अपना ड्राइविंग लाइसेंस भी बनवा लूँ'. हमने बताया. 
'बिना लर्निंग लाइसेंस के?' मित्र बोले. 
'पता नहीं यार, छोड़ो इन बातों को, महानता की मिसाल तो कायम हो गई. मेरा सुझाव है कि हर वर्ष जनवरी के तीसरे रविवार को 'राष्ट्रीय महानता दिवस' के रूप में मनाया जाय. सब लोग कम से कम एक महान काम करें. सोचो जरा कैसा लगेगा? हर तरफ़ हर आदमी महान काम कर के महान बना घूम रहा है. राजनीतिबाज, पुलिस वाले, सरकारी बाबू, वकील, डाक्टर हर कोई महान काम कर रहा है. एक दिन के लिए ही सही, सारा भारत देश महान हो गया है'. हमने कहा.
मित्र ने सहमति जतायी और बोले, 'यार एक बात और भी है. जिस ड्राइविंग लाइसेंस के कारण प्रधान मंत्री को यह महानता दिखाने का मौका मिला वह भी तो एक महान ऐतिहासिक दस्तावेज हो गया है. मेरे विचार में उसके लिए राष्ट्रीय अभिलेखागार में स्थान सुरक्षित कर दिया जाना चाहिए, जहाँ बाद में उसे रख दिया जाय और जिसे देख कर लोग महान काम करने के लिए प्रेरणा ले सकें'. 

अब हमें लग रहा है कि इस महानता के बारे में बात करके और ऐसे महान सुझाव दे कर हम भी महान हो गए हैं. 
बोलो महान रविवार की जय. 
नहीं, नहीं, बोलो जनवरी के तीसरे महान रविवार की जय.
महान ड्राइविंग लाइसेंस की जय.
महान ड्राइविंग लाइसेंस के महान नवीकरण की जय.
हमारे और हमारे मित्र के महान सुझावों की जय.
इस महान व्यंग को पढने वाले आप सब महान पाठकों की जय. 
महान टिप्पणीकारों की जय.  

Monday, January 19, 2009

क्यों भई क्यों, आख़िर क्यों?

नजर आती है उनकी तस्वीर,
हर सरकारी विज्ञापन में,
आख़िर कौन हैं वह?
क्या पोजीशन है उनकी?
भारत सरकार में?

सरकार के हर फैसले में,
क्यों नजर आती है?
उनकी दखलंदाजी,
क्यों झुकी रहती है हर समय?
सरकार उनके क़दमों में,

एक देश की गुलामी से मुक्त होकर,
हो गए गुलाम भारतवासी,
एक परिवार के,
एक परिवार के मुखिया के,
कैसी आज़ादी है यह?

क्यों भई क्यों, आख़िर क्यों? 

Friday, January 16, 2009

काम सरकार का, क्रेडिट राजमाता को

सरकार ने मीडिया पर लगाम कसने की बात की तो हल्ला मच गया. मुंबई हमलों में यह तो सबने देखा है कि जैसे गोली-पर-गोली रिपोर्टिंग की जा रही थी उस से आतंकियों को फायदा तो जरूर हुआ. अन्दर बैठकर उन्हें पता चल रहा था कि बाहर क्या हो रहा है. पर मीडिया की भी अपनी मजबूरी है. कम्पटीशन इतना ज्यादा है कि एंकरों को बार-बार यह कहना पड़ता था कि यह जो आप देख रहे हैं बस हमारा चेनल ही आपको दिखा रहा है. अब हर बात का क्रेडिट लेने पर राजनीतिबाजों का तो एकाधिकार नहीं हो सकता. मीडिया को भी यह अधिकार मिलना चाहिए. 

मीडिया वाले प्रधान मंत्री से मिले और उन्होंने पूर्ण आश्वासन दे दिया कि बहुत सोच-समझ और विचार-विमर्श के बाद ही कानून में कोई बदलाव किया जायेगा. प्रधान मंत्री सरकार के प्रमुख हैं. उनके आश्वासन से मीडिया आश्वस्त हो गया. इस बात का क्रेडिट प्रधान मंत्री को मिल गया. लेकिन कांग्रेस की मालकिन और राजमाता को तो कोई क्रेडिट नहीं मिला. यह बात ग़लत हो गई. मीडिया वालों को तुंरत राजमाता के दरबार में हाज़िर होने की हिदायत दी गई. वह हाज़िर हुए और राजमाता ने आदेश दिया कि सरकार कानून में ऐसा कोई बदलाव नहीं करेगी. अब आप यह पूछ सकते हैं कि राजमाता कोई सरकारमाता तो हैं नहीं, उन्होंने कैसे यह कह दिया कि सरकार यह नहीं करेगी? पूछिए,जरूर पूछिए. अब मेरा भी जवाब सुन लीजिये. आप भारत में रहते हैं या कहीं और? 

जब कांग्रेस और करात में ऊपरी दोस्ती थी तो प्रधान मंत्री अक्सर कुछ ऐसा कह देते थे कि करात नाराज हो आते थे. फ़िर राजमाता की और से उनके प्रिय चाटुकार  प्रणब करात के पास जाते थे और मनमोहन जी को माफ़ करवाते थे, करात का गुस्सा ठंडा करवाते थे. सारा क्रेडिट राजमाता को मिलता था. अब देखिये, इंग्लेंड से आए विदेश सचिव ने मुंबई मामले पर भारत सरकार की हर बात को दुत्कार दिया, 'मैं नहीं मानता कि पाकिस्तान की सरकारी एजेंसियां इन हमलों में शामिल थीं. मैं यह भी नहीं मानता कि इन हमलों के लिए जिम्मेदार आतंकियों को भारत के हवाले किया जाय. इन पर पाकिस्तान में ही मुकदमा चलेगा.' सरकार की फुस-फुस हो गई. सरकारी प्रवक्ता ने इसे सचिव महोदय की व्यक्तिगत राय कह कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली. अब राजमाता ने सचिव महोदय को राहुल बाबा के साथ अमेठी घूमने भेज दिया है. वहां बाबा उन्हें क्या दिखा रहे हैं यह तो आपको बाबा या सचिव से पूचना पड़ेगा? इस बारे में हम कोई अनुमान भी नहीं लगा सकते. एक आम आदमी, राजा लोग जब ऐसे घूमने जाते हैं तो क्या करते हैं उसका अनुमान कैसे लगा सकता है? हाँ  अगर किसी वजह से सचिव महोदय ने अपनी व्यक्तिगत राय बदल दी तो इस का क्रेडिट राजमाता को मिल जायेगा. ऐसे बन जायेगी बात. 

Monday, January 12, 2009

नए साल पर नया धंधा

हमने एक मन्दिर बनाया,
भगवान को उस में बिठाया,
एक बड़ा संदूक ला कर,
उस पर दान पात्र लिखवा कर,
मोटा एक ताला लगा कर,
नए साल पर धूम-धाम से,
खोली एक नई दूकान,
धंधा चले खूब भगवान.

हम दहेज़ के ख़िलाफ़ हैं,
हमें कुछ नहीं चाहिए,
आपकी बेटी है,
आप चाहेंगे सुख से रहे,
उसे जो देंगे और देते रहेंगे,
आपके और उसके बीच की बात है. 

पडोसन बोली,
कब कर रही हो बेटे की शादी?
बेटे को पढाया, लिखाया,
हर तरह से काबिल बनाया,
अब वह अपने पैरों पर खड़ा है,
न जाने क्यों इस बात पर अडा है,
मास्टर जी का बेटा पसंद है उसे,
कहता है उसी से करूंगा शादी.


Sunday, January 11, 2009

मुन्नाभाई एमबीबीएस बनेंगे स्वास्थ्य मंत्री

किसी ने राम जे से पूछा, 'आपने संजय का मुकदमा लड़ा था, पर अब जब उस ने चुनाव लड़ने का सोचा तो आपने न जाने क्या-क्या कह डाला. उसके एमपी बनने को देश के लिए खतरा बता दिया'. 
'क्यों न कहूं?', राम जे बोले, 'मुक़दमे की फीस नहीं मिली अभी तक'. 

किसी ने अमर से पूछा, 'आपने कहा संजय को चुनाव में खड़ा करेंगे, अगर अदालत ने आपत्ति की तो मान्यता को खड़ा कर देंगे, क्या कोई और नहीं मिल रहा आपको?'
अमर बोले, 'यह कांग्रेस के एकाधिकार के ख़िलाफ़ हमारी जंग है. क्या कांग्रेस का दत्त परिवार पर एकाधिकार है? पहले पिताजी, फ़िर बेटी, अब नजर डाल रहे थे बेटे पर. हमने उनसे पहले , अपना दावा ठोक दिया.'

किसी ने अर्जुन से पूछा, 'जब आपने कहा था उन्हें पीएम बनाओ तो आपको डांट पड़ी थी, अब जब प्रणब ने यही कहा तो किसी न उन्हें नहीं डांटा. यह भेद-भावः क्यों?'
'अपना-अपना मुकद्दर है. लगता है प्रणब की चमचागिरी मेरी चमचागिरी से ज्यादा पसंद है उन्हें.', वह दुखी मन से बोले. 

किसी ने अमर से फ़िर पूछा, 'अगर संजय जीत गए और आपकी सरकार बन गई तो उन्हें कौन सा मंत्रालय देंगे?'
'स्वास्थ्य मंत्रालय' उन्होंने तुंरत जवाब दिया, 'आपने देखा नहीं, उसने डाक्टरी परीक्षा में टॉप किया था उस फ़िल्म में, और कितने मरीजों को ठीक किया था. संजय से अच्छा स्वास्थ्य मंत्री हो ही नहीं सकता'. 
'लेकिन वह तो ऐक्टिंग थी'. 
'अरे भाई, असल में भी तो ऐक्टिंग ही करते हैं स्वास्थ्य मंत्री'. 
'लेकिन संजय ने तो दादागिरी की थी'.
'और इन्होनें भी तो दादागिरी ही की थी एम्स के निदेशक के ख़िलाफ़'. 

किसी ने गिलानी से कहा, 'आप ने खूब खरी-खोटी सुनाई भारत और सारी दुनिया को. किस ने लिखा था यह भाषण?' 
'किसी ने नहीं. जरदारी साहब ने अपने आफिस में बुला कर सारी तोहमत मेरे ऊपर लगा दी मुंबई हमले की. मेरा दिमाग फ़िर गया. बस में बाहर आया और शुरू हो गया'. गिलानी ने खुलासा किया. 
'भारत में टीवी वाले खूब मजाक उड़ा रहे थे आपका'. 
'उडाने दो. हमने उनके इतने आदमियों को उड़ा दिया. उन्हें कम से कम मजाक तो उडाने दो', गिलानी ने अपनी पीठ ठोकते हुए कहा. 


Friday, January 9, 2009

बच्चों के चुटकुले

आज कल के बच्चे बहुत तेज हैं. कुछ बच्चे चुटकुले सुना रहे थे. आप भी पढिये .

एक बच्चे ने चुटकुला सुनाया.
एक आतंकवादी ने माला के घर में बम रख दिया. 
पड़ोसियों ने देखा तो चिल्लाये, 'संभल कर, माला बम है, माला बम है'. 
माला ने सुना तो हंसने लगी, 'अब नहीं, वह तो में जवानी में थी'. 

एक बच्चे ने पहेली पूछी. 
जो जानवर जमीन पर रहते हैं वह बच्चे देते हैं, पर पक्षी हवा में उड़ते हैं और वह अंडे देते हैं. वह कौन है जो हवा में उड़ते हैं पर बच्चे देते हैं?
बच्चे सोचने लगे पर उत्तर नहीं ढूँढ पाये. सबने हार मान ली.
उस बच्चे ने उत्तर बताया, 'एयर होस्टेस'. 

एक और बच्चे ने चुटकुला सुनाया.
हमारे पड़ोसी ने अपने माली से कहा, 'पौधों को पानी दे दो'.
माली ने कहा, 'मालिक, वारिश हो रही है'. 
पड़ोसी चिल्लाये, 'कामचोर, छाता लगा कर पानी नहीं दे सकते'. 

और पढिये .
एक डाक्टर एक आदमी के पीछे भाग रहा था.
किसी ने पूछा, 'क्या हुआ डाक्टर साहब?'
डाक्टर बोला, 'साला, कई बार दिमाग का आपरेशन करवाने आया और बाल कटवा कर भाग गया'. 

अब यह पढिये .
लड़का, 'जानेमन  इस  दिल  में  आजा'.
लड़की, 'सेंडल  निकालू  क्या?
लड़का, पगली, यह कोई मन्दिर थोड़े  ही  है, ऐसे  ही  आजा'. 

एक और.
एक आदमी प्लेटफार्म पर बैठा सिगरेट पी रहा था. एक औरत आई और उसके पास बेंच पर बैठ गई. सिगरेट के धुएँ से परेशान होने पर उसने आदमी से कहा, 'जनाब अगर आप एक अच्छे इंसान होते तो यहाँ पर सिगरेट नहीं पीते'. 
आदमी बोला, 'अगर आप अच्छी इंसान होतीं तो थोड़ा दूर पर बैठतीं'. 
कुछ देर बाद औरत ने गुस्से से फ़िर कहा, 'अगर आप मेरे पति होते तो मैं आपको जहर दे देती'. 
आदमी मुस्कुराया और बोला, 'यकीन कीजिए, अगर आप मेरी पत्नी होतीं तो मैं खुशी से जहर पी लेता'. 

Sunday, January 4, 2009

"अब मेरी शादी हो जायेगी"

मेरी जानकारी में एक सज्जन हैं. उन्होंने हजारों लड़कियों को पसंद किया पर न जाने क्यों किसी लड़की ने उन्हें पसंद नहीं किया. बेचारे कुंवारे रह गए. 
कल मिले तो बहुत खुश थे. 
मैंने पूछा, 'भाई क्या बात है आज तो बहुत खुश नजर आ रहे हो'. 
वह बोले, 'खुशी की ही तो बात है, अब मेरी शादी हो जायेगी'. 
मैंने कहा, 'यह तो बहुत अच्छी बात है, पर यह चमत्कार हुआ कैसे?'
उन्होंने समझाया, 'भाई, तालिबान ने हुक्मनामा जारी किया है कि लोग अपनी लड़कियों की शादी तालिबान से कर दें'. 
मैंने कहा, 'हाँ भाई, यह तो मैंने भी सुना है. पर इस से आपकी शादी कैसे हो जायेगी?' 
वह हंस कर बोले, 'भाई बहुत अक्लमंद बनते हो पर यह भी नहीं समझ पाये, अरे भाई, धर्म बदल कर दो चार हिन्दुओं का खून कर के तालिबान बन जाऊँगा और अफगानिस्तान भाग जाऊंगा.  तालिबान तो अब कोई कुंवारा रहेगा नहीं. इस चक्कर में मेरी भी शादी हो जायेगी'. 
मैं चकरा गया पर मन-ही-मन उनकी अक्ल की तारीफ़ भी करनी पड़ी. चाँद को धर्म बदलने से उसकी प्रेमिका मिल गई. इन्हें भी धर्म बदल कर बीबी तो मिल ही जानी चाहिए. 

Friday, January 2, 2009

वोटों की राजनीति - चुटकुले या सच्चाई?

जब मार्गरेट अल्वा बोलीं,
तब बुरा लगा और 'हाथ' उठा, 
जब नारायण राने बोले,
तब भी बुरा लगा और 'हाथ' उठा, 
पर जब अंतुले बोले,
न बुरा लगा, न 'हाथ' उठा. 

जान हथेली पर रख कर,
जनता ने दिया जवाब,
आतंक को, अलगाववाद को, 
पर जिन्हें चुना, उन्होंने किया,
सत्ता का बंटवारा, सेवा का नहीं.

उन्होंने फरमाया, 
जन्म दिन मनाना है नेता का,
पैसा दो या जान से जाओ,
नेता डाकू भाई-भाई.  

हमने जन्म दिन मनाया,
कई महीनों का बजट बिगड़ गया,
उन्होंने जन्म दिन मनाया,
कई पीढियों का जीवन संवर गया.

पन्द्रह मिनट में उन्नीस बिल,
बेहयाई का रिकार्ड कायम किया,
जन-प्रतिनिधियों ने. 

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