भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है अब तो.

Saturday, December 25, 2010

पढ़िए, शायद आप को हंसी आ जाय

लड़की का पिता - विवाह बराबर वालों में हो तभी सफल होता है.
उम्मीदवार - आप सही कहते हैं. मेरा और आपकी बेटी का विवाह भी सफल होगा.
लड़की का पिता - मगर तुम्हारी तो कोई हैसियत ही नहीं है.
उम्मीदवार - अभी कुछ नहीं है पर विवाह के बाद तो आप के बराबर हो जायेगी.

Ruling Party and Opposition Party have same policy.
What is that?
Both love power.

नौकर - मालकिन मैं आप के यहाँ काम नहीं कर सकता.
मालकिन -क्यों?
नौकर - आप मुझे ऐसे डांटती हैं जैसे मैं आपका पति हूँ.

It was Raju's first day in school.
When he returned home, his mother asked, 'what did you learn today?'
'Not much', Raju replied, 'tomorrow also I will have go to school'.

नेता - मैं कल से दहेज़ के खिलाफ अभियान चला रहा हूँ.
पत्रकार - आज से ही क्यों नहीं?
नेता - आज मेरे बेटे की शादी है.

Raju returned from school.
He was both happy and sad.
Happy, as he was promoted to class 2.
Sad, as his teacher was not promoted.

A minister while going to Parliament asked his driver, ‘Can you drive the car with your eyes closed?’
Driver replied in the negative.
Minister taunted the driver, ‘You can’t even drive the car with eyes closed, and we are driving the entire country with closed eyes.’
Driver got annoyed and closed his eyes. A big bang, people came running and took out the driver. They thanked him, ‘You have done a great service to the nation. May God rest the soul of minister in peace’.

Wednesday, September 22, 2010

एक नया रिकार्ड

उन्होंने कहा,
हम इन काला धन खेलों में,
एक नया रिकार्ड बनायेंगे,
विदेशी खिलाडी या तो नहीं आयेंगे,
या आकर बीमार पड़ जायेंगे,
सारे पदक सोना, चाँदी, तांबा,
हमारे खिलाड़ी ले जायेंगे.

Thursday, August 5, 2010

साझा (काला) धन खेल

साझा धन खेल,
हो गए काला धन खेल,
गोरे तो रहे गोरे,
काले हो गए और काले,
जेब काटी सरकार ने,
दलितों को भी नहीं छोड़ा,
उनका पैसा भी हड़प, हजम,
खोद डाली सारी दिल्ली,
नया बनाने के नाम पर,
कोई शर्म नहीं, कोई शर्मसार नहीं,
राष्ट्रीय शर्म का यह उत्सव,
मना रहे है सब गर्व से.

Monday, July 19, 2010

अघोषित राष्ट्रीय मानक

भारत की,
राष्ट्रीय मानक संस्था,
भारतीय मानक ब्यूरो,
बनाती है राष्ट्रीय मानक,
छपते हैं, गजट होते हैं,
इस्तेमाल जरा कम होते हैं,
एन बनाया अघोषित मानक,
न छपा, न गजट हुआ,
पर जम कर इस्तेमाल हुआ,
मानकः पथ भ्रष्टकः
कैसे बनाएं प्रभावहीन,
सूचना के अधिकार को?
कैसे बनाएं प्रभावशाली,
चमचागिरी के हथियार को?
काम करना हराम है,
भ्रष्टाचार हलाल है.

संगठित भ्रष्टाचार

आज के अखवार में,
निकला है एक विज्ञापन,
संगठित भ्रष्टाचार में शामिल हों,
जम कर रिश्वत खाएं,
विदेश यात्रा पर जाएँ,
पसंदीदा जगह पर पोस्टिंग,
समय से पहले प्रमोशन,
अच्छे अफसरों में गिनती,
पड़ोसी आदर से नाम लें,
रिश्तेदार नजरें झुका कर बात करें,
कोई डर नहीं, कोई खतरा नहीं,
सीवीसी, पुलिस, अदालत, सरकार,
सब मदद करने को तैयार,
सावधान,
अकेला भ्रष्टाचारी मार खाता है,
संगठित भ्रष्टाचारी पूजा जाता है.

मिडिल क्लास की यंत्रणा

गर्मी इस बार कुछ ज्यादा ही पड़ गई,
वर्मा जी भी हो गए परेशान,
कुछ पसीने से,
कुछ बीबी-बच्चों के तानों से,
बेंक ने लोन दे दिया,
घर में एसी लगवा लिया,
खूब ठंडी हवा खाई,
कोलोनी में बिना एसी वालों को देखते,
तब मन ही मन कहते,
'उफ़ यह मिडिल क्लास वाले',
फिर आया विजली का बिल,
एसी की ठंडी हवा में पसीने आ गए,
लोन की किश्त भरें,
या विजली का बिल दें?
डराबने सपने आने लगे,
कभी विजली कट जाए,
कभी बेंक के गुंडे आ जाएँ,
खुद ही एसी वापस कर आये,
पसीना वर्दाश्त कर लेंगे,
लोन पर एसी लेकर,
मिडिल से अपर क्लास नहीं हो जाता कोई.

Thursday, June 24, 2010

जनता से पंगा !!!

पटना में चाय की एक दुकान,
बतिया रहे थे कुछ बिहारी,
यह नितीश बौरा गए हैं क्या?
गुजरात की जनता ने मदद भेजी,
यह ससुर लौटा दिए उस को,
मरे गरीब बाढ़ में,
वह गए घर, खेत, खलिहान,
इनका क्या बिगड़ा?
जनता की जनता को मदद,
यह कौन हैं लौटाने वाले?
दिमाग में चढ़ गई है सत्ता,
भूल गए हैं ससुर,
जनता ने बिठाया था कुर्सी पर,,
जनता ही उतार देगी,
कोई समझाए इनको,
न लें जनता से पंगा.

Wednesday, June 23, 2010

हाथ का सही इस्तेमाल

एक कहावत सुनी थी,
हाथ मिलाने से बन जाते हैं दुश्मन मित्र,
यहाँ हाथ मिलाते हुए विज्ञापन क्या छपा,
गले की जंजीर बन गया,
रात भूखी रह कर काटनी पड़ी,
नितीश ने सामने से खाने की थाली छीन ली,
और एक कांग्रेस है,
हाथ दिखाती है और सत्ता में आ जाती है,
हमने कहावत बदल दी,
हाथ मिलाओगे मुश्किल में पड़ जाओगे,
हाथ दिखाओगे सत्ता में आ जाओगे.

दिल्ली का सच्चा सच

एक दिन अखबार में खबर आई,
एक सिरफिरे ने पीआइएल लगा दी,
कामनवेल्थ साईट्स पर,
हो रहा है अमानवीय व्यवहार,
मजदूरों के साथ,
हाई कोर्ट ने कमेटी बना दी,
कमेटी ने सच्चाई बता दी,
जानवरों से बदतर हालात हैं मजदूरों के,
न्यूनतम वेतन नहीं मिलता,
ओवरटाइम का पैसा नहीं मिलता,
सरकार सक्रिय हो गई,
खबर अखवार से गायब हो गई.

Thursday, June 17, 2010

दिल्ली एक विश्व स्तर का शहर है - इसे हास्य कहूं या व्यंग ???

केंद्र में कांग्रेस सरकार और दिल्ली की मुख्य मंत्री यह दावा करती हैं कि दिल्ली एक विश्व स्तर का शहर है - यह हास्य है. दिल्ली की जनता ने शीला जी को तीसरी बार मुख्य मंत्री बनाया - यह व्यंग है. मैंने उन्हें वोट नहीं दिया. इस का एक कारण था कि मैंने डीडीए डिस्ट्रिक्ट पार्क पश्चिम पुरी को देखा है. अगर आप इस पार्क को देख लेते तब शायद आप भी शीला जी को तीसरी बार वोट नहीं देते. अगर आपने अभी तक इस पार्क को नहीं देखा है तब मैं आपको इस पार्क में आने का निमंत्रण देता हूँ. जब तक इस के लिए समय निकालें, तब तक इस लिंक पर क्लिक करें और यह स्लाइड शो देखें.

Tuesday, March 23, 2010

दुनिया की सबसे महंगी जेबकटी

कल फिर मेरी जेब कट गई,
जेब क्या कटी, ऐसा लगा,
जैसे दिन दहाड़े बाज़ार में,
किसी ने मेरी कमीज़ उतार ली,
और मुझे नंगा कर दिया,
रिपोर्ट लिखाने थाने पहुंचा,
पुलिस वाले हंसने लगे,
दिल्ली सरकार ने जेब काटी,
दिल्ली पुलिस में शिकायत,
वाह क्या बात है !!

दिल्ली में रहना अपराध हो गया,
पानी महंगा, बिजली महंगी,
तेल महंगा, गैस महंगी,
हर चीज़ पर टेक्स,
साझा धन खेल बन गए जी का जंजाल,
दुनिया की सबसे महंगी जेबकटी,
एक झटके में ११३४ करोड़,
मेरे पडोसी ने वोट दिया शीला को,
और सजा मिल रही है मुझे,
मेरे पैसे से पांच सितारा मूत्रालय,
वह खेलने आयेंगे या मूतने?

है भगवान् बना दो मुझे,
एक दिन का प्रधान मंत्री,
सारे स्टेडियम, सारे फ्लाई ओवर,
सारी सड़कें, सारे मूत्रालय,
सारे अधिकारी, सारे खिलाड़ी,
फीता काटने वाले,
जो भी सम्बंधित है साझा धन खेल से,
भर कर जहाज़ों में,
भेज दूंगा लन्दन को,
रानी अपने यहाँ करा यह खेल,
अब हम गुलाम नहीं हैं तेरे,
अब हमारी रानी अपने देश में नहीं रहती,
वह यहीं आ कर राज करती है,
और अब हमारा राष्ट्रीय खेल हाकी नहीं,
राजनीति की शतरंज है,
वह खेलना है तो आ जा,
इंगलिस्तान जीत लेंगे तुझसे.

Wednesday, March 17, 2010

पति का सपना और सरकार

पति का सपना पूरा करना है उन्हें,
नारी आरक्षण का बिल पास कराना है,
सरकार को आदेश मिला,
राज्य सभा में बिल आया,
पुराने दुश्मनों की मदद से पास भी हो गया,
पर एक नई चिंता आड़े आ गई,
सरकार गिर गई तो !!!
मुलायम कठोर हो गए,
लल्लू ने लाठी उठा ली,
अल्पसंख्यकों ने त्योरी चढ़ा ली,
नया आदेश आया,
धीरे चलो.

Monday, February 22, 2010

वकालत खारिज, राजनीति शुरू

कपिल सिब्बल पहले वकील थे,
अब बन गए हैं राजनीतिबाज,
भूल गए हैं कानून,
प्राइवेट स्कूलों की फीस पर,
सरकार नहीं कर सकती रोकथाम,
पर अंधाधुंध फायदा नहीं,
क्या बात है जनाब आपकी,
चोर से कहें चोरी कर,
पर सब कुछ मत चुरा लेना.
जेब कतरे से कहें काट ले जेब,
पर कुछ नोट छोड़ देना.

Sunday, February 7, 2010

तरक्की

मेडिकल साइंस ने बहुत तरक्की की है.
कैसे?
पहले जब लोग मरते थे तब पता ही नहीं चलता था कि किस बीमारी से मरे.
और अब?
अब डाक्टर कुछ कुछ अनुमान लगा लेते हैं कि किस बीमारी से मरे.

Monday, February 1, 2010

बापू जीवित हैं

तीस जनवरी १९४८,
बापू का महाप्रयाण,
तीस जनवरी २०१०,
दिल्ली सरकार का विज्ञापन,
'बापू जीवित हैं'.
कहाँ रहते हैं वह?
मैं मिलना चाहता हूँ उनसे,
पूछना चाहता हूँ,
आप जीवित हैं अगर,
तब क्यों नहीं आते नजर?
सपने में बापू नजर आये,
बोले मैं जीवित होता हूँ,
हर वर्ष ऐसे विज्ञापन में,
फिर मर जाता हूँ,
अगले वर्ष जीवित होने के लिए,
ऐसे ही किसी विज्ञापन में,
और फिर मर जाता हूँ एक वर्ष के लिए.

Wednesday, January 27, 2010

दूसरों को नसीहत, खुद मादाम फजीहत

उन्होंने कहा कानून बनाओ,
अपराधी चुनाव न लड़ सकें,
कुछ ऐसा कर दिखाओ.
उन्होंने आज यह कहा,
मैं न जाने कब से कह रहा हूँ,
पर मैं एक आम आदमी हूँ,
वह उस पार्टी की मालकिन हैं,
जिसकी सरकार है इस देश में,
मेरी किसी ने न सुनी,
उनकी सब सुन रहे है,
पर यह कोई नहीं सोचता,
कि वह कानून बना सकती हैं,
पर बनाती नहीं बस बात करती हैं,
कम से कम यह तो कर सकती हैं,
अपनी पार्टी में सभी अपराधियों को,
पार्टी से निकाल सकती हैं,
पर वह ऐसा करेंगी नहीं,
वह आम आदमी नहीं हैं,
वह एक राजनीतिबाज हैं,
बचपन में पढी थी एक कहावत,
दूसरों को नसीहत,
खुद मादाम फजीहत.

Sunday, January 17, 2010

रामपुर का डाक्टर

उत्तर प्रदेश में रामपुर,
रामपुर में एक डाक्टर,
डाक्टर का एक मरीज,
मरीज का रक्त चाप गिर गया,
सुगर लेबल भी कम हो गया,
सब लोग घबड़ाए,
पर डाक्टर जी मुस्कुराए,
मरीज को ले चलो बरेली,
करूंगा में एंजियोग्राफी,
दस हजार का खर्चा आएगा,
सब ठीक हो जाएगा.

मरीज अड़ गया दिल्ली जाऊँगा,
जिस डाक्टर ने बाई पास किया था,
उसी से एंजियोग्राफी करवाऊंगा,
सुन कर डाक्टर उदास हो गए,
बोले में उन्हें चिट्ठी लिख देता हूँ,
मन में सोचा दस हजार नहीं,
कुछ कमीशन ही सही,
कडकडाती सर्दी, घने कोहरे में,
सात घंटे के सफ़र के बाद,
मरीज दिल्ली पहुंचा,
पहले तो डाक्टर ने मना किया,
कोई जरूरत नहीं वह बोला,
पर मरीज घबड़ा रहा था सो मान गया,
टेस्ट हुआ, सब ठीक निकला,
मरीज की जान में जान आई,
पर बीस हजार के नीचे आ गया,
वाह रे डाक्टर, वाह री डाक्टरी,
सेवा का धंधा,
बन गया पैसे कमाने की मशीन.

Friday, January 15, 2010

तीन सवाल ???

पडोसी देश ने,
हड़प ली जमीन हमारी,
इंच-इंच करके,
पर सरकार सोती रही,
कुछ न कर पाई,
न ही कुछ करना चाहा,
क्या देश सुरक्षित है,
ऐसी सरकार के हाथों में?

एक लेखक की किताब,
खूब बिकी, खूब बिकी,
परम्परा के अनुसार,
उन्होंने एक लेख में लिखा,
कश्मीर दे दो पाकिस्तान को,
किसी ने कुछ नहीं कहा,
न कोई फतवा,
न ही कोई भर्त्सना,
क्या देश सुरक्षित है,
ऐसे लेख्कों के हाथों में?

मैं दिल्ली में रहता हूँ,
बड़ा अजीब लगता है,
प्रधानमन्त्री, मुख्यमंत्री,
अक्सर बयान देते हैं,
दिल्ली को बनायेंगे,
सबसे खूबसूरत शहर,
मेरी कालोनी के पार्क में,
घुमते हैं कुत्ते और सुवर,
क्या मेरा शहर सुरक्षित है,
ऐसे नेताओं के हाथों में?

Friday, January 8, 2010

ममता दी की झटका गाड़ी

ममता दी की झटका गाड़ी,
शताब्दी एक्सप्रेस उसका नाम,
दिल्ली कालका के बीच चलती,
हर रोज सुबह और शाम.

पहला झटका दिया सुबह जब,
प्लेटफार्म से निकली बाहर,
सारे झटके गिन नहीं पाया,
उतर गया चंडीगढ़ जाकर.

सुपर फास्ट कहलाती है वह,
पर चलती कछुए की चाल,
कभी तेज चलते नहीं देखा,
मर्जी जहाँ वहीं रुक जाती.

रुकती है तो झटका देती,
चलती है तो झटका देती,
चलते-चलते झटका देती,
रुलते-रुकते झटका देती.

लालू जी की झटका गाड़ी,
अब है ममता दी की गाड़ी,
लालू बदल गए ममता में,
पर नहीं बदले झटके इसके.

ममता दी की झटका गाड़ी,
ममता दी की झटका गाड़ी.
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