आज के अखवार में,
निकला है एक विज्ञापन,
संगठित भ्रष्टाचार में शामिल हों,
जम कर रिश्वत खाएं,
विदेश यात्रा पर जाएँ,
पसंदीदा जगह पर पोस्टिंग,
समय से पहले प्रमोशन,
अच्छे अफसरों में गिनती,
पड़ोसी आदर से नाम लें,
रिश्तेदार नजरें झुका कर बात करें,
कोई डर नहीं, कोई खतरा नहीं,
सीवीसी, पुलिस, अदालत, सरकार,
सब मदद करने को तैयार,
सावधान,
अकेला भ्रष्टाचारी मार खाता है,
संगठित भ्रष्टाचारी पूजा जाता है.
हम आज ऐसे समाज में रहते हैं जो बहुत तेजी से बदल रहा है और हम सबके लिए नए तनावों की स्रष्टि कर रहा है. पर साथ ही साथ समाज में घट रही बहुत सी घटनाएं हमारे चेहरे पर मुस्कान ले आती हैं. हमारे तनाव, भले ही कुछ समय के लिए, कम हो जाते हैं. हर घटना का एक हास्य-व्यंग का पहलू भी होता है. इस ब्लाग में हम उसी पहलू को उजागर करने का प्रयत्न करेंगे.
भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है अब तो.
Monday, July 19, 2010
संगठित भ्रष्टाचार
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2 comments:
बेहद उम्दा रचना !
एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
आपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं
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