भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है अब तो.

Friday, October 31, 2008

कार्टून युद्ध

अगर कार्टून लड़ पड़े तो ........


Wednesday, October 29, 2008

मैं काली क्यों हूँ?

तुम काली हो,
ये फरिश्‍तों की भूल है,
वो तिल लगा रहे थे,
स्‍याही बिखर गयी।

Monday, October 27, 2008

नंगापन

चुनाव का मौसम आया,
यानी नंगा होने का मौसम आया,
देखना, कैसे-कैसे फैशनबाज,
नंगे होते हैं और नंगा करते हैं?
नफरत का नंगा नाच करेंगे, 
ईमान, अगर बचा है,
तो उसे बेचेंगे, 
पहले टिकट खरीदेंगे,
फ़िर वोट खरीदेंगे. 

Sunday, October 26, 2008

चुनाव

उन्होंने कहा,
मैं चुनाव में खड़ा हूँ,
मैंने कहा ग़लत,
आप तो मेरे दरवाजे पर खड़े हैं.

उन्होंने कहा,
मैं चुनाव लड़ रहा हूँ,
मैंने कहा ग़लत,
चुनाव कोई लड़ाई नहीं है.

उन्होंने कहा,
मुझे वोट दीजियेगा,
मैंने कहा,
पहले आप तय तो कर लीजिये,
आप कर क्या रहे हैं? 

Friday, October 24, 2008

हड़ताल

है ईश्वर,
हड़ताल करवा दो,
पुलिसवालों की,
कुछ दिन तो बिता ले शहर,
बिना अपराध के. 

Wednesday, October 22, 2008

एक चुटकुला नेट से

शादी से पहले : 


प्रेमी: हाँ. आखिरकार, इतनी देर से इंतज़ार कर रहा था. 

प्रेमिका: क्या मैं चली जाऊं? 

प्रेमी: नहीं! ऐसा सोचना भी मत.

प्रेमिका: क्या तुम मुझे प्रेम करते हो? 

प्रेमी: हां! बहुत ज्यादा!

प्रेमिका: क्या तुमने मुझे कभी धोका दिया है?

प्रेमी: नहीं! तुम यह पूछ भी क्यों रही हो?

प्रेमिका: क्या तुम मेरा चुम्मन लोगे?

प्रेमी: हर बार, अगर मौका मिला तो. 

प्रेमिका: क्या तुम मुझे मारोगे?

प्रेमी: क्या तुम पागल हो! मैं उस तरह का इंसान नहीं हूँ!

प्रेमिका: क्या मैं तुम पर विश्वास कर सकती हूँ?

प्रेमी: हां.

प्रेमिका: प्रिय!


शादी के बाद

सिर्फ इसे फिर से नीचे से ऊपर की तरफ पढ़े...... :)

Wednesday, October 15, 2008

बड़ा धर्म और छोटा धर्म, बड़ा ईश्वर और छोटा ईश्वर

बेटा - पिता जी कुछ लोग अपने धर्म को बड़ा और दूसरे धर्म को छोटा क्यों कहते हैं? 
पिता - पता नहीं बेटा. 
बेटा - कुछ लोग अपने ईश्वर को बड़ा और दूसरों के ईश्वर को छोटा क्यों कहते हैं? 
पिता - पता नहीं बेटा. 
बेटा - क्या जैसे एक आदमी दूसरे से बड़ा होता है, उसी तरह धर्म और ईश्वर भी एक दूसरे से बड़े होते हैं? 
पिता - पता नहीं बेटा.
बेटा - पिता जी आप को बाकई नहीं पता या आप बताना नहीं चाहते?
पिता - बेटा ईश्वर एक है, वह बड़ा या छोटा हो ही नहीं सकता. जो लोग ईश्वर में भेद-भाव करते हैं वह ईश्वर को समझ ही नहीं पाये. ईश्वर की नजर में सब इंसान एक है. इस लिए, कोई इंसान भी दूसरे से बड़ा या छोटा नहीं हो सकता. 
बेटा - शायद उन का धर्म यही सिखाता हो. 
पिता - पता नहीं बेटा. 
बेटा - पिता जी फ़िर यही. 
पिता - बेटा, धर्म इंसान ने बनाये हैं. शायद कुछ लोगों ने ख़ुद को दूसरों से बड़ा साबित करने के लिए, अपने धर्म को दूसरे धर्मों से बड़ा कह दिया. और फ़िर अपने धर्म को बड़ा साबित करने के लिए अपना ईश्वर भी अलग कर लिया और उस ईश्वर को भी बड़ा कहना शुरू कर दिया. 
बेटा - अजीब बात है न यह?
पिता - हाँ बेटा, अजीब बात तो है. एक बात बताओ, तुम यह सब क्यों पूछ रहे हो?
बेटा - कल मैं अपने एक दोस्त पीटर के घर गया था, उसके पिता जी ने मुझ से कहा, 'तुम्हारे धर्म के लोग ईसाइयों को मार रहे हैं'. 
पिता - क्या तुमने उन से पूछा कि वह ऐसा क्यों कर रहे हैं? 
बेटा - पूछा था. उन्होंने कहा कि उन का धर्म हमारे धर्म से बड़ा है. उन का ईश्वर भी हमारे ईश्वर से बड़ा है. हमारे धर्म के कुछ लोग उन के धर्म में जा कर बड़ा बनना चाहते हैं, पर हमारे धर्म के कुछ और लोग यह पसंद नहीं करते और उन के धर्म के लोगों को मारते हैं. 
पिता - फ़िर तुम ने क्या कहा?
बेटा - मैंने उन्हें वही कहा जो आपने मुझे हमारे धर्म के बारे मैं बताया है. मगर उन्होंने यह बात नहीं मानी और हमारे धर्म की हँसी उड़ाने लगे. हमारे देवी-देवताओं की भी हँसी उड़ाने लगे. फ़िर मैं वहां से चला आया. मुझे बड़ा अजीब लगा इस लिए मैंने फ़िर आपसे यह सब पूछा. 
पिता - तुमने उन के धर्म की हसीं तो नहीं उड़ाई.  
बेटा - नहीं पिता जी. 
पिता - यह तुमने बहुत अच्छा किया. जो लोग ईसाइओं को मार रहे हैं अच्छा नहीं कर रहे, पर शायद वह अपने धर्म की हँसी उड़ाना बर्दाश्त नहीं कर सके.
बेटा - क्या ईश्वर उन से नाराज होगा? 
पिता - हाँ बेटा, जरूर नाराज होगा. वह कभी पसंद नहीं करेगा कि कोई इंसान दूसरे इंसान को मारे. 
बेटा - मैं समझ गया पिता जी. एक बात और बताइये. भारत की एक ईसाई नन को पोप ने संत बनाया. सब कह रहे हैं कि इस से भारत का सम्मान बढ़ा. पोप ने ईसाइयों को मारने वालों की निंदा की, पर उन ईसायिओं को कुछ नहीं कहा जो हमारे धर्म  का मजाक उड़ाते हैं. 
पिता - इस का जवाब तो पोप ही देंगे बेटा. 
बेटा - ठीक हे पिता जी. मैं कभी उन से मिलूंगा तो पूछूंगा. 

Tuesday, October 14, 2008

पिता जी यह 'राजनितिक बयान' क्या होता है?

शर्मा जी के बेटे ने उन से पूछा, 'पिता जी यह 'राजनितिक बयान' क्या होता है?'
पिता - जब कोई राजनीतिबाज कोई बयान देता है तो उसे 'राजनितिक बयान' कहते हैं.
बेटा - तब क्या जो लोग राजनीतिबाज नहीं होते वह 'राजनितिक बयान' नहीं दे सकते?
पिता - दे सकते हैं बेटा, बल्कि बहुत से दे भी रहे हैं. राजनीति ने हमारे जीवन को इतना दुश्रभावित कर दिया है कि अब लगभग हर आदमी 'राजनितिक बयान' देने लगा है.
बेटा - मेरे दोस्त अजय के पिता जम कर झूट बोलते हैं पर अजय को हमेशा यह समझाते हैं कि झूट बोलना पाप है. क्या यह भी 'राजनितिक बयान' हुआ?
पिता - हाँ बेटा यह भी एक 'राजनितिक बयान' है.
बेटा - अब बात समझ में आई.
पिता - क्या बेटा?
बेटा - स्कूल में सर ने एक हिन्दी कहावत के बारे में बताया था - 'दूसरों को नसीहत, ख़ुद मियां फजीहत'. सर ने होम वर्क भी दिया है, एक ऐसा उदहारण जिस पर यह कहावत लागू होती हो. अब मैं आसानी से कह दूँगा - 'राजनितिक बयान' पर यह कहावत पूरी तरह लागू होती है.
पिता - बिल्कुल सही बेटा.
बेटा - पिता जी, क्या मैं 'राजनितिक बयान' पर एक निबंध लिखूं?
पिता - हाँ बेटा जरूर लिखो.
बेटा - तब 'राजनितिक बयान' के बारे में कुछ और भी बताइये न.
पिता - तो सुनो बेटा. 'राजनितिक बयान' में झूट का प्रतिशत सच के प्रतिशत से बहुत ज्यादा होता है. जब झूट १०० प्रतिशत के पास पहुँचने लगता है तो उस राजनीतिबाज को सफल और महान की संज्ञा दी जाती है. हमारा देश ऐसे सफल और महान राजनीतिबाजों से भरा पड़ा है.
बेटा - ऐसे कुछ लोगों के नाम बताइये न.
पिता - नहीं बेटा किसी का नाम नहीं लेना चाहिए. जिन का नाम नहीं लेंगे वह बुरा मान जायेंगे.
बेटा - अच्छा, और भी कुछ बताइए.
पिता - 'राजनितिक बयान' में ऐसा कुछ जरूर होना चाहिए जिस से लोगों में आपस में वैमनस्य फेले, लोग एक दूसरे से नफरत करने लगें, अगर आपस में मार-काट करने लगें तो और भी अच्छा है.
बेटा - मगर पिता जी, यह तो बहुत ग़लत बात है.
पिता - हाँ बेटा तुम सही कहते हो, पर राजनीतिबाजों की भाषा अलग होती है. लोगों में नफरत फैलाना ईश्वर के प्रति अपराध है, पर राजनीतिबाजों के लिए यह सफलता का मूल मन्त्र है.
बेटा - तब रहने दीजिये पिता जी, मैं यह निबंध नहीं लिखूंगा.
पिता - क्यों बेटा?
बेटा - इस से तो मेरा सोच ख़राब हो जायेगा. ऐसी गन्दी बातें लिखूंगा तो सर भी नाराज होंगे, और मेरे दोस्त तो मुझसे बोलना ही बंद कर देंगे. वह कहेंगे कि जो ऐसा सोचता है वह एक दिन ऐसा करेगा भी.
पिता - यह तो बहुत अच्छी बात कही तुमने बेटा. मुझे तुम पर गर्व है.
बेटा - और पिता जी, मैं कभी राजनीतिबाज नहीं बनूँगा.
पिता - हाँ बेटा, सूखी रोटी खाना अच्छा है पर लोगों में नफरत फैलाकर मक्खन खाना ग़लत है. आज तुमने भी मुझे बहुत कुछ सिखा दिया है.

Sunday, October 12, 2008

लिव-इन हा हा हा हा

अभी कहते हैं - विवाह की वधाई. जल्दी ही कहेंगे - लिव-इन की वधाई.

प्रेम विवाह भी होते हैं, पर अधिकतर विवाह माता-पिता तय करते हैं. क्या लिव-इन माता-पिता तय करेंगे?

पड़ोसन ने पूछा, 'बहन जी, बेटी की लिव-इन कब कर रही हैं?'

क्या एक पुरूष एक से ज्यादा लिव-इन कर सकता है?

'मम्मी, मैं पहले लिव-इन करूंगी, अगर ठीक लगा तो शादी कर लूंगी'.

तलाक के लिए अदालत में जाते हैं. क्या लिव-इन टूटने के लिए अदालत में जाना होगा?

अगर औरत लिव-इन तोड़ेगी तब मर्द को कुछ मिलेगा क्या?

लिव-इन के दौरान हुए बच्चों का लिव-इन टूटने पर क्या होगा?

स्कूल के फार्म में कुछ नई सूचना भी देनी होगी - बच्चा विवाह से है या लिव-इन से?, लिव-इन माता का नाम?, लिव-इन पिता का नाम?

तलाक के बाद - एक्स-वाइफ, एक्स-हसबेंड. लिव-इन के बाद - ????

विवाह में पति या पत्नी के मरने के वाद - विधवा, विधुर. लिव-इन में पार्टनर के मरने के वाद - ????

पार्टी में मिले. आपने विवाह किया है या लिव-इन?

मेरे दो बच्चे हैं, एक लिव-इन बेटा, एक विवाह बेटी.

इस्लाम में विवाह केवल मुसलमानों के बीच हो सकता है. लिव-इन में क्या कानून होगा?

'तुमने चेकअप करा लिया क्या?', 'हाँ, बेटी है', अबार्शन करोगी क्या?, 'नहीं, अब दहेज़ का खतरा नहीं है न. लिव-इन करेगी'

'क्या बकवास है?, अगर सास को साथ रखना होता तो विवाह न करती, लिव-इन किसलिए किया?'

Thursday, October 9, 2008

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