भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है अब तो.

Monday, October 19, 2009

कामनवेल्थ (साझा धन) खेल स्पर्धा शुरू

साझा धन खेल स्पर्धा,
हो गई समय से पहले शुरू,
कल्मादी, हूपर, फेनेल,
जुट गए मल्ल युद्ध में,
दुसरे को नीचा दिखाने की,
खुद को ऊंचा साबित करने की,
अघोषित प्रतियोगिता का स्वर्ण पदक,
कौन जीतेगा?
कोई भी जीते,
क्या फर्क पड़ता है,
खेल तो हार गए.

Friday, October 9, 2009

निद्रा देवी की कृपा से कामनवेल्थ गेम्स बच गए

आज पार्क में शर्मा जी बहुत खुश थे. लोगों के पूछने पर अपने हाथ में लिया अखवार हिलाते थे और कहते थे, 'आने दो वर्मा को, आज माफ़ी न मंगवाई तो मेरा नाम नहीं'.
किसी की कुछ समझ में नहीं आया तो मिश्रा जी बोले, 'भई आ जाने दो वर्मा जी को सब पता चल जायगा'.
कुछ देर में वर्मा जी आ गए. शर्मा जी ने अखवार उनकी तरफ बढाया और बोले' 'लो पढो इसे और कुछ शर्म बाकी है तो माफ़ी मांगो'. वर्मा जी ने खबर पढ़ी और बोले, 'क्या है यह और किस बात की माफ़ी?'
'अच्छा किस बात की माफ़ी? अरे शर्म करो, भूल गए जब में किसी लेक्चर या प्रेजेंटेशन में सोता हूँ तो मेरा मजाक उडाते हो, बॉस से चुगली लगाते हो और मुझे डांट खिलवाते हो. अब कामनवेल्थ गेम्स फेडरेशन का प्रेसिडेंट प्रेजेंटेशन में सो रहा है तो पूछ रहे हो क्या है यह और किस बात की माफ़ी?'
वर्मा जी से अखवार ले कर हम सबने खबर पढ़ी तो सारी बात समझ में आई.
मिश्रा जी बोले, 'भई वर्मा जी यह बात तो गलत है, शर्मा जी का मजाक उड़ाना, उनकी चुगली करना और बॉस से डांट खिलवाना. अरे भई लेक्चर और प्रेजेंटेशन में सोने वाले तो महान लोग होते हैं. क्या तुमने लोक सभा और विधान सभा में
मंत्रिओं को सोते नहीं देखा? शर्मा जी महान हैं तभी तो सोते हैं,'
सब ने मिश्रा जी की बात का समर्थन किया. वर्मा जी को शर्मा जी से माफ़ी मांगनी पडी.
महान शर्मा जी का सब ने तालियों से अभिनन्दन किया,
मिश्र जी ने कहा, 'अब यह सोते हुए प्रेसिडेंट खेलों की तैयारियों पर पूरा संतोष प्रकट करेंगे. यह भी खुश, भारत सरकार भी खुश, कामनवेल्थ में से अपने-अपने हिस्से की वेल्थ लेने वाले भी खुश. सोचो जरा, अगर यह सोते नहीं तो गए थे कामनवेल्थ खेल दिल्ली से'.

Sunday, October 4, 2009

अच्छा बापू अब अगले साल याद करेंगे तुम्हें

मेरा एक दोस्त जो सरकारी बाबू है इस बार बापू से बहुत खुश था. बापू ने इस साल शुक्रवार को पैदा होकर बहुत अच्छा किया, तीन छुट्टियां बन गईं और वह मसूरी निकल लिया. और भी बहुत सारे लोग बापू से इस बात पर खुश होते हैं कि वह हर साल २ अक्टूबर को पैदा होते हैं और उनकी जेब गरम कर जाते हैं. सरकार ने जनता का करोडों रुपया पानी की तरह बहा दिया विज्ञापनों में. यह बहता पानी कुछ तो गया नेताओं और बाबुओं की जेब में, कुछ गया अखवार वालों की जेब में, और कुछ गया ...... अरे भाई किसी न किसी जेब में तो गया होगा. कुछ सरकारों ने बापू के नाम पर गरीब जनता के लिए कुछ योजनाओं की घोषणा कर दी. अब बापू के अगले जन्म दिन तक सब मजे करेंगे.

एक नवोदित लेखक ने बापू को चिट्ठी लिख डाली कि बापू एक दिन के लिए आ जाओ और ६० सालों में जो बिगडा है उसे ठीक कर जाओ. साथ ही धमकी भी दे दी कि अगर नहीं आये तो हम खुद ठीक कर लेंगे. एक नए मंत्री ने ट्वीट कर दी कि बापू के जन्म दिन पर सब को काम करना चाहिए. इस पर कुछ राजनीतिबाजों ने आदतन बयानबाजी कर डाली. और भी बहुत से लोगों ने कुछ किया होगा और कुछ ने कुछ नहीं भी किया होगा. मतलब यह कि बापू का जन्म दिन आया और निकल गया. कुछ को पता चला और कुछ को नहीं पता चला. जिन को पता चला उन्होंने क्या उखाड़ लिया और जिन्हें नहीं पता चला वह क्या उखाड़ लेते अगर पता चल जाता. हर साल की तरह जो होता है वह इस साल भी हुआ और अगले साल भी होगा.

आज तक कोई बापू को समझ नहीं पाया. सब ने उन्हें अपने हिसाब से समझा. वह जैसे थे बैसा किसी ने नहीं समझा. बापू हम सबकी तरह एक आम इंसान थे. वह कोई मसीहा नहीं थे. बस कुछ आम इंसान अपने व्यवहार में दूसरे आम इंसानों से ऊपर उठ जाते हैं. बापू एक ऐसे ही आम इंसान थे. पर कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए उन्हें मसीहा का नाम दे दिया, राष्ट्रपिता कह दिया, और इस ब्रांडिंग का पेटेंट अपने नाम कर लिया. आज तक उनकी पीढियां इस ब्रांडिंग का फायदा उठा रही हैं. वास्तविकता तो यह है कि बापू के आदर्शों का सबसे ज्यादा मजाक इन्हीं लोगों ने उड़ाया. यह बापू की सबसे बड़ी कमजोरी थी कि वह सही और गलत आदमी में भेद नहीं कर पाए. सब उन्हें प्यार करते थे, उनका आदर करते थे, और इसी प्यार और आदर का गलत इस्तेमाल करके बापू ने इन गलत लोगों को इस देश और जनता पर थोप दिया.

बापू की सबसे बड़ी खासियत थी उनका मानवीय संबंधों के प्रति आदर. मेरे विचार से यह एक खासियत बापू को एक आम इंसान से बहुत ऊपर उठा ले गई. अफ़सोस की बात यह है कि उनकी इसी खासियत को लोग समझ नहीं पाए. बापू सबसे प्रेम करते थे. उन्होंने कभी किसी से नफरत नहीं की. यही प्रेम उनके अहिंसा के सिद्धांत का आधार था. जो इंसान प्रेम करता है वह हिंसक हो ही नहीं सकता. आज भारतीय समाज में मानवीय संबंधों के प्रति जो अनादर है उसे दूर किये बिना बापू का जन्म दिन मनाने का कोई मतलब नहीं है.

Friday, October 2, 2009

जनता का धन है किसका साझा धन?

वर्मा जी ने पूछा शर्मा जी से,
यह कामनवेल्थ क्या है?
अरे इतना भी नहीं जानते?
कामनवेल्थ यानी साझा धन,
वर्मा जी बुरा मान गए,
इतनी अंग्रेजी हिंदी आती है मुझे,
यह बताओ कहाँ है यह धन?
और किस किस में साझा है?
यार यह तो कभी सोचा नहीं,
हाँ अखवार भरे हैं इस बारे में,
कोई खेल होंगे २०१० में,
जिनका नाम है कामनवेल्थ गेम्स.

दोनों गए मिश्रा जी के पास,
मिश्रा जी ने समझाया,
आज़ादी से पहले,
अंग्रेजों के गुलाम देश जो कमाते थे,
वह धन साझा होकर जमा होता था,
अंग्रेज रानी की तिजोरी में,
और कहलाता था कामनवेल्थ,
इस धन के कुछ हिस्से से,
रानी खेल खिलाती थी,
जिन्हें कहते थे कामनवेल्थ गेम्स,
पर अब तो हम आजाद हैं,
बोले वर्मा जी, शर्मा जी,
क्या बाकई? बोले मिश्रा जी,
तीनों चुप हो गए.

मिश्रा जी ने चुप्पी तोडी,
गुलामी हमारा जन्मसिद्ध अधकार है,
अंग्रेज चले गए तो क्या हुआ?
अपना अधिकार छोड़ देंगे क्या?
देखा नहीं क्या?
कैसे नतमस्तक हो जाते हैं सब,
गोरी चमड़ी के सामने?
कामनवेल्थ गेम्स में जिन्दा है अभी भी गुलामी,
अब रही कामनवेल्थ की बात,
तो अब जनता का साझा धन,
बंटता है मंत्रियों में, बाबुओं में,
ठेकेदारों में, चमचों में,
हजारों करोड़ का वजट है भाई,
कई पीढिया तर जायेंगी.

चलो अब यह बहस बंद करो,
अपना कर्तव्य निभाओ,
आम आदमी धन कमाएगा,
सरकार को कर देगा,
तभी तो जेब भरेगी,
गुलामों के गुलाम नेताओं की.
Get your website at top in all search engines
Contact Rajat Gupta at
9810213037, or
Go to his site

For free advice on management systems - ISO 9001, ISO 14001, OHSAS 18001, ISO 22000, SA 8000 etc.
Contact S. C. Gupta at 9810073862
e-mail to qmsservices@gmail.com
Visit http://qmsservices.blogspot.com