आज पार्क में शर्मा जी बहुत खुश थे. लोगों के पूछने पर अपने हाथ में लिया अखवार हिलाते थे और कहते थे, 'आने दो वर्मा को, आज माफ़ी न मंगवाई तो मेरा नाम नहीं'.
किसी की कुछ समझ में नहीं आया तो मिश्रा जी बोले, 'भई आ जाने दो वर्मा जी को सब पता चल जायगा'.
कुछ देर में वर्मा जी आ गए. शर्मा जी ने अखवार उनकी तरफ बढाया और बोले' 'लो पढो इसे और कुछ शर्म बाकी है तो माफ़ी मांगो'. वर्मा जी ने खबर पढ़ी और बोले, 'क्या है यह और किस बात की माफ़ी?'
'अच्छा किस बात की माफ़ी? अरे शर्म करो, भूल गए जब में किसी लेक्चर या प्रेजेंटेशन में सोता हूँ तो मेरा मजाक उडाते हो, बॉस से चुगली लगाते हो और मुझे डांट खिलवाते हो. अब कामनवेल्थ गेम्स फेडरेशन का प्रेसिडेंट प्रेजेंटेशन में सो रहा है तो पूछ रहे हो क्या है यह और किस बात की माफ़ी?'
वर्मा जी से अखवार ले कर हम सबने खबर पढ़ी तो सारी बात समझ में आई.
मिश्रा जी बोले, 'भई वर्मा जी यह बात तो गलत है, शर्मा जी का मजाक उड़ाना, उनकी चुगली करना और बॉस से डांट खिलवाना. अरे भई लेक्चर और प्रेजेंटेशन में सोने वाले तो महान लोग होते हैं. क्या तुमने लोक सभा और विधान सभा में
मंत्रिओं को सोते नहीं देखा? शर्मा जी महान हैं तभी तो सोते हैं,'
सब ने मिश्रा जी की बात का समर्थन किया. वर्मा जी को शर्मा जी से माफ़ी मांगनी पडी.
महान शर्मा जी का सब ने तालियों से अभिनन्दन किया,
मिश्र जी ने कहा, 'अब यह सोते हुए प्रेसिडेंट खेलों की तैयारियों पर पूरा संतोष प्रकट करेंगे. यह भी खुश, भारत सरकार भी खुश, कामनवेल्थ में से अपने-अपने हिस्से की वेल्थ लेने वाले भी खुश. सोचो जरा, अगर यह सोते नहीं तो गए थे कामनवेल्थ खेल दिल्ली से'.
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