एक दिन अखबार में खबर आई,
एक सिरफिरे ने पीआइएल लगा दी,
कामनवेल्थ साईट्स पर,
हो रहा है अमानवीय व्यवहार,
मजदूरों के साथ,
हाई कोर्ट ने कमेटी बना दी,
कमेटी ने सच्चाई बता दी,
जानवरों से बदतर हालात हैं मजदूरों के,
न्यूनतम वेतन नहीं मिलता,
ओवरटाइम का पैसा नहीं मिलता,
सरकार सक्रिय हो गई,
खबर अखवार से गायब हो गई.
हम आज ऐसे समाज में रहते हैं जो बहुत तेजी से बदल रहा है और हम सबके लिए नए तनावों की स्रष्टि कर रहा है. पर साथ ही साथ समाज में घट रही बहुत सी घटनाएं हमारे चेहरे पर मुस्कान ले आती हैं. हमारे तनाव, भले ही कुछ समय के लिए, कम हो जाते हैं. हर घटना का एक हास्य-व्यंग का पहलू भी होता है. इस ब्लाग में हम उसी पहलू को उजागर करने का प्रयत्न करेंगे.
भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है अब तो.
Wednesday, June 23, 2010
दिल्ली का सच्चा सच
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