भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है अब तो.

Saturday, September 26, 2009

सोच रहा हूँ राष्ट्रपति बन जाऊं

कल अखवार पढ़ कर,
फिर मन में आया,
क्यों न राष्ट्रपति बन जाऊं?
एक बार पहले भी आया था मन में,
जब हाईवे टोल पर एक बोर्ड पढ़ा था,
राष्ट्रपति की कार को टोल नहीं देना,
राष्ट्रपति बने और फुर्र से निकल गए,
वर्ना खड़े रहो लाइन में और पैसा भी दो,
अब एक और पर्क मिला राष्ट्रपति को,
बेटे को एम्एलए का टिकट मिलेगा,
चिंता ख़त्म,
बेटा कैसा भी योग्य या अयोग्य हो,
नौकरी पक्की,
और कोई ऐसी बैसी नौकरी नहीं,
मरने तक रिटायरमेंट नहीं,
मजे ही मजे,
न कोई काम न धाम,
काम करो तो फायदा,
न करो तो फायदा,
दोनों हाथों में लड्डू,
क्या ख्याल है भाइयों,
बन जाऊं राष्ट्रपति?

7 comments:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

सही लिखा है आपने.
मैं भी आपसे सहमत हूं
इसी के मद्देनज़र से कार्टून बनाया था मैंने.

कार्टून:-रे बाबा, इ सड़क मैं कबहुं ना चलि हौं

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

भूलसुधार से=ये

संजय बेंगाणी said...

आप तो बन ही जाओ...हमारी शुभकामनाएं....मौज ही मौज होगी...थोड़ा इधर भी सरका देना :)

दीपक कुमार भानरे said...

आज की अवसरवाद और परिवार वाद से ग्रसित होती राजनीति पर बहुत अच्छा व्यंग है .

Arshia Ali said...

Bahut Badhiya.
-------
दुर्गा पूजा एवं दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं।
( Treasurer-S. T. )

मितान said...

हा हा हा. अग्रिम शुभकामनांए.

राज भाटिय़ा said...

अब जल्दी से बन जाओ, फ़िर मोजा ही मोजा जी

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