कपिल सिब्बल पहले वकील थे,
अब बन गए हैं राजनीतिबाज,
भूल गए हैं कानून,
प्राइवेट स्कूलों की फीस पर,
सरकार नहीं कर सकती रोकथाम,
पर अंधाधुंध फायदा नहीं,
क्या बात है जनाब आपकी,
चोर से कहें चोरी कर,
पर सब कुछ मत चुरा लेना.
जेब कतरे से कहें काट ले जेब,
पर कुछ नोट छोड़ देना.
हम आज ऐसे समाज में रहते हैं जो बहुत तेजी से बदल रहा है और हम सबके लिए नए तनावों की स्रष्टि कर रहा है. पर साथ ही साथ समाज में घट रही बहुत सी घटनाएं हमारे चेहरे पर मुस्कान ले आती हैं. हमारे तनाव, भले ही कुछ समय के लिए, कम हो जाते हैं. हर घटना का एक हास्य-व्यंग का पहलू भी होता है. इस ब्लाग में हम उसी पहलू को उजागर करने का प्रयत्न करेंगे.
भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है अब तो.
Monday, February 22, 2010
वकालत खारिज, राजनीति शुरू
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2 comments:
बहुत खूब
चोर से कहें चोरी कर, साहूकार से कहें जागता रह.
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