मेरे कुछ ब्लाग्स पर बिखरी पड़ी हैं कुछ हंसिकाएं। सोचा इकट्ठी कर के यहाँ डाल दूँ।
तुम काली हो ये फरिश्तों की भूल है/
वो तिल लगा रहे थे कि स्याही बिखर गयी।
"जो कुछ अच्छा हुआ,
वह हमने किया,
जो कुछ बुरा हुआ,
वह किया अधिकारियों ने",
यह सीधी बात नहीं समझती जनता,
ख़ुद भी होती है परेशान,
हमें भी करती है परेशान.
कुछ मत देखो,
कुछ मत सुनो,
कुछ मत कहो,
बस हमें वोट देते रहो।
सरकार करती हे रोजगार,
बेचती है पानी,
अगली चीज क्या बेचेगी सरकार?
हवा, सूरज की धूप या फूलों की खुशबू.
"लोग मुझे युवराज कहें,
यह मुझे अच्छा नहीं लगता,
क्या वह मुझे राजा नहीं कह सकते?"
लोगों ने ट्रेफिक जाम लगाया,
लोगों ने ट्रेफिक जाम हटाया,
पुलिस चेक पोस्ट पर बैठी रही,
गाड़ियों को रोकती रही,
जेब गरम करती रही.
भारत एक राजतान्त्रिक देश है,
जनता द्वारा चुने जाने के बाद,
जन-प्रतिनिधि राजा हो जाते हैं
और सत्ता की राजनीति चलाते हैं.
हम आज ऐसे समाज में रहते हैं जो बहुत तेजी से बदल रहा है और हम सबके लिए नए तनावों की स्रष्टि कर रहा है. पर साथ ही साथ समाज में घट रही बहुत सी घटनाएं हमारे चेहरे पर मुस्कान ले आती हैं. हमारे तनाव, भले ही कुछ समय के लिए, कम हो जाते हैं. हर घटना का एक हास्य-व्यंग का पहलू भी होता है. इस ब्लाग में हम उसी पहलू को उजागर करने का प्रयत्न करेंगे.
भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है अब तो.
Thursday, September 25, 2008
Wednesday, September 24, 2008
संवेदनहीन सरकार और संवेदनहीन मंत्री
ग्रेटर नोयडा की एक फेक्ट्री में हिंसक भीड़ कम्पनी के सीईओ को मार डालती है. ऐसा करके इन लोगों ने क्या हासिल किया यह तो वही जाने पर एक हँसते-खेलते परिवार को इन हत्यारों ने हमेशा के लिए गमजदा कर दिया. इस पर तुक्का जड़ा इस संवेदनहीन सरकार के एक संवेदनहीन मंत्री ने. आस्कर फर्नांडिस ने एक बहुत ही शर्मनाक टिपण्णी की इस घटना पर. यह टिपण्णी मानवीय संवेदनाओं से शून्य तो थी ही, साथ ही एक प्रकार से धमकी भी थी कंपनी मालिकों को कि बाज आ जाओ वरना यही होगा सब के साथ. बात जब बिगड़ी तो इस मंत्री ने माफ़ी मांग ली. डर लगने लगा है अब। नंदीग्राम, सिंगूर और अब यह. क्या एक नए प्रकार का आतंकवाद जन्म ले रहा है?
कैसी है यह सरकार और कैसे हैं इस के मंत्री. जब दिल्ली में बम फट रहे थे और आम आदमी मर रहे थे तो इस सरकार का ग्रह मंत्री फैशन परेड में हिस्सा ले रहा था. किसी के पास दो शब्द नहीं थे सहानुभूति के किसी मृतक या उस के परिवार के लिए. वोटों की राजनीति की जा रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे आतंकवादी सरकार के लिए काम कर रहे हैं. कुछ आतंकवाद वह करते हैं और फ़िर उस के बाद कुछ आतंकवाद यह सरकार और इस के बाबू करते हैं. बाबुओं ने सहायता का चेक मृतकों के नाम से बना दिया. अब मृतक तो आने से रहा उसे भुनाने. क्या किया जाय? मेरे एक मित्र ने सुझाया कि उस बाबू को बोलो कि चेक की पर्सनल डिलिवरी करे.
यह हास्य है या व्यंग, मैं नहीं जानता. बस मन दुखता है.
कैसी है यह सरकार और कैसे हैं इस के मंत्री. जब दिल्ली में बम फट रहे थे और आम आदमी मर रहे थे तो इस सरकार का ग्रह मंत्री फैशन परेड में हिस्सा ले रहा था. किसी के पास दो शब्द नहीं थे सहानुभूति के किसी मृतक या उस के परिवार के लिए. वोटों की राजनीति की जा रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे आतंकवादी सरकार के लिए काम कर रहे हैं. कुछ आतंकवाद वह करते हैं और फ़िर उस के बाद कुछ आतंकवाद यह सरकार और इस के बाबू करते हैं. बाबुओं ने सहायता का चेक मृतकों के नाम से बना दिया. अब मृतक तो आने से रहा उसे भुनाने. क्या किया जाय? मेरे एक मित्र ने सुझाया कि उस बाबू को बोलो कि चेक की पर्सनल डिलिवरी करे.
यह हास्य है या व्यंग, मैं नहीं जानता. बस मन दुखता है.
Sunday, September 21, 2008
आतंकियों को लख-लख वधाई
मेरे प्यारे आतंकियों,
मैं हिन्दुस्तान का एक आम नागरिक हूँ, पर आपका एक बहुत बड़ा पंखा हूँ. मेरा मन हर समय आपकी तारीफ़ करने को करता है. शैतान में ईमान रखने वाले आप आतंकवादियों ने खूब जमके बेबकूफ बना रखा है खुदा में ईमान रखने वालों को. वह यह समझते हैं कि आप उनके लिए जिहाद कर रहे हैं, जब कि आप तो उनका ही जिहाद कर रहे हैं. एहमदाबाद, बंगलौर, हेदराबाद, जयपुर, दिल्ली,जहाँ भी आपने बम धमाके किए, खुदा के बन्दे भी उस में मारे गए. दरअसल आपने बम विस्फोट करने की अपनी तकनीक में काफ़ी सुधार किया है, पर आप असली सुधार करना भूल गए. जरा बम को भी कह देते कि वह फटने से पहले यह पता करले कि आप पास कोई खुदा का बंदा तो नहीं है. पर आप यह नहीं चाहते न. आप को तो बस दहशत फैलानी है. निर्दोष नागरिकों को मारना है, चाहे वह हिंदू हो, मुसलमान हो, सिख या ईसाई हो. आप तो शैतान की हकूमत कायम करना चाहते हैं और इस के लिए खुदा के बन्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं. आपकी इसी सफलता ने तो मुझे आपका पंखा बना दिया है.
दूसरी तारीफ़ आपकी यह करनी है कि बाहर से आप नेताओं और उन की सरकार को गालियाँ देते हैं, जबकि अन्दर से आप और वह दोनों एक है. आप भी नफरत का कारोबार करते हैं और वह भी. फर्क सिर्फ़ इतना है कि आप शैतान की हकूमत कायम करना चाहते हैं और वह अपनी हकूमत बनाये रखना चाहते हैं. आपने आज तक इतने धमाके किए पर क्या कभी कोई नेता मरा आपके हाथों? यही आपकी सब से बड़ी दूसरी सफलता है. इस के लिए भी आपको मेरी वधाई.
अब मैं आपको एक सलाह देना चाहूँगा. आप क्यों अपने हाथ आम आदमी के खून से रंगते हैं? अरे भाई अक्सर ब्लू लाइन आम आदमी को कुचल देती है. कोई न कोई आम आदमी अक्सर बीआरटी कारडोर में अपनी जान गवां देता है. कभी कोई बीएम्अब्लू किसी आम आदमी को कुचल कर निकल जाती है. कभी पुलिस किसी आम आदमी का एनकाउन्टर कर देती है. कभी उसे थाने में पीट कर मार डालती है. कभी कोई पति अपनी प्रेमिका के साथ मिलकर अपनी पत्नी की हत्या कर देता है. कभी कोई जागरूक पत्नी अपने प्रेमी के साथ मिल कर अपने पति की हत्या कर देती है. कभी कोई असली मर्द एक बच्ची पर बलात्कार करके उसे मार डालता है. आज कल तो बच्चे भी कत्ल करने लगे हैं. मतलब मेरा यह है कि रोज हो कितने आम आदमी मर जाते हैं या मार डाले जाते हैं. अगर आप रोज एक ऐ-मेल भेज कर इन मौतों का क्रेडिट ख़ुद ले लिया करें तो आपके हाथ खून से रंगने से बच जायेंगे. शैतान की हकूमत लाने को तो तो इस देश की सरकार, नेता और खास आदमी ही रात-दिन एक कर रहे हैं. अब तो धीरे-धीरे आम आदमी भी उन की मुहीम में शामिल होता जा रहा है.
आपके फेवर में एक बात और है. शैतान तो एक है पर खुदा बहुत सारे हो गए हैं. हिन्दुओं का भगवान, मुसलमानों का अल्लाह, ईसाइयों का खुदा और न जाने कितने. यह ख़ुद ही आपस में लड़ मर रहे हैं. कुछ लोग अपने खुदा के लिए रिक्रूटमेंट करने में लगे हैं. दूसरों का धर्म बदलने के लिए रात-दिन एक कर रहे हैं. कुछ लोग इसके ख़िलाफ़ रात-दिन एक कर रहे हैं. कितनी जानें इसी में चली जाती हैं. आपके शैतान को तो मुफ्त में वालंटीयर मिल रहे हैं. आप आराम से अपने घर बैठो, इन्टरनेट पर मजे करो. आपका काम तो यह लोग ही कर देंगे.
उम्मीद करता हूँ कि आप और आपका शैतान मेरी सलाह पर अमल करेंगे.
आपका एक पंखा.
मैं हिन्दुस्तान का एक आम नागरिक हूँ, पर आपका एक बहुत बड़ा पंखा हूँ. मेरा मन हर समय आपकी तारीफ़ करने को करता है. शैतान में ईमान रखने वाले आप आतंकवादियों ने खूब जमके बेबकूफ बना रखा है खुदा में ईमान रखने वालों को. वह यह समझते हैं कि आप उनके लिए जिहाद कर रहे हैं, जब कि आप तो उनका ही जिहाद कर रहे हैं. एहमदाबाद, बंगलौर, हेदराबाद, जयपुर, दिल्ली,जहाँ भी आपने बम धमाके किए, खुदा के बन्दे भी उस में मारे गए. दरअसल आपने बम विस्फोट करने की अपनी तकनीक में काफ़ी सुधार किया है, पर आप असली सुधार करना भूल गए. जरा बम को भी कह देते कि वह फटने से पहले यह पता करले कि आप पास कोई खुदा का बंदा तो नहीं है. पर आप यह नहीं चाहते न. आप को तो बस दहशत फैलानी है. निर्दोष नागरिकों को मारना है, चाहे वह हिंदू हो, मुसलमान हो, सिख या ईसाई हो. आप तो शैतान की हकूमत कायम करना चाहते हैं और इस के लिए खुदा के बन्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं. आपकी इसी सफलता ने तो मुझे आपका पंखा बना दिया है.
दूसरी तारीफ़ आपकी यह करनी है कि बाहर से आप नेताओं और उन की सरकार को गालियाँ देते हैं, जबकि अन्दर से आप और वह दोनों एक है. आप भी नफरत का कारोबार करते हैं और वह भी. फर्क सिर्फ़ इतना है कि आप शैतान की हकूमत कायम करना चाहते हैं और वह अपनी हकूमत बनाये रखना चाहते हैं. आपने आज तक इतने धमाके किए पर क्या कभी कोई नेता मरा आपके हाथों? यही आपकी सब से बड़ी दूसरी सफलता है. इस के लिए भी आपको मेरी वधाई.
अब मैं आपको एक सलाह देना चाहूँगा. आप क्यों अपने हाथ आम आदमी के खून से रंगते हैं? अरे भाई अक्सर ब्लू लाइन आम आदमी को कुचल देती है. कोई न कोई आम आदमी अक्सर बीआरटी कारडोर में अपनी जान गवां देता है. कभी कोई बीएम्अब्लू किसी आम आदमी को कुचल कर निकल जाती है. कभी पुलिस किसी आम आदमी का एनकाउन्टर कर देती है. कभी उसे थाने में पीट कर मार डालती है. कभी कोई पति अपनी प्रेमिका के साथ मिलकर अपनी पत्नी की हत्या कर देता है. कभी कोई जागरूक पत्नी अपने प्रेमी के साथ मिल कर अपने पति की हत्या कर देती है. कभी कोई असली मर्द एक बच्ची पर बलात्कार करके उसे मार डालता है. आज कल तो बच्चे भी कत्ल करने लगे हैं. मतलब मेरा यह है कि रोज हो कितने आम आदमी मर जाते हैं या मार डाले जाते हैं. अगर आप रोज एक ऐ-मेल भेज कर इन मौतों का क्रेडिट ख़ुद ले लिया करें तो आपके हाथ खून से रंगने से बच जायेंगे. शैतान की हकूमत लाने को तो तो इस देश की सरकार, नेता और खास आदमी ही रात-दिन एक कर रहे हैं. अब तो धीरे-धीरे आम आदमी भी उन की मुहीम में शामिल होता जा रहा है.
आपके फेवर में एक बात और है. शैतान तो एक है पर खुदा बहुत सारे हो गए हैं. हिन्दुओं का भगवान, मुसलमानों का अल्लाह, ईसाइयों का खुदा और न जाने कितने. यह ख़ुद ही आपस में लड़ मर रहे हैं. कुछ लोग अपने खुदा के लिए रिक्रूटमेंट करने में लगे हैं. दूसरों का धर्म बदलने के लिए रात-दिन एक कर रहे हैं. कुछ लोग इसके ख़िलाफ़ रात-दिन एक कर रहे हैं. कितनी जानें इसी में चली जाती हैं. आपके शैतान को तो मुफ्त में वालंटीयर मिल रहे हैं. आप आराम से अपने घर बैठो, इन्टरनेट पर मजे करो. आपका काम तो यह लोग ही कर देंगे.
उम्मीद करता हूँ कि आप और आपका शैतान मेरी सलाह पर अमल करेंगे.
आपका एक पंखा.
Saturday, September 13, 2008
तब बदल जाता है हास्य व्यंग में
हास्य-व्यंग की एक गोष्टी में,
एक सवाल पूछा मैंने,
हास्य क्या है?
और व्यंग क्या है?
हंसाते हैं दोनों कहा किसी ने,
खुलासा किया फ़िर किसी ने,
हास्य हंसाता भर है,
व्यंग भी हंसाता है,
पर देता है,
एक टीस, एक चुभन.
पत्नी का पति पर बेलन फैंकना,
हास्य की संज्ञा पा सकता है,
पर फैका जाता है जब वह बेलन,
एक ऐसे पति पर,
जो लौटा है उड़ा कर,
शराब और जुए में,
बीमार बच्चे की दवा के पैसे,
तब बदल जाता है हास्य व्यंग में.
एक सवाल पूछा मैंने,
हास्य क्या है?
और व्यंग क्या है?
हंसाते हैं दोनों कहा किसी ने,
खुलासा किया फ़िर किसी ने,
हास्य हंसाता भर है,
व्यंग भी हंसाता है,
पर देता है,
एक टीस, एक चुभन.
पत्नी का पति पर बेलन फैंकना,
हास्य की संज्ञा पा सकता है,
पर फैका जाता है जब वह बेलन,
एक ऐसे पति पर,
जो लौटा है उड़ा कर,
शराब और जुए में,
बीमार बच्चे की दवा के पैसे,
तब बदल जाता है हास्य व्यंग में.
Wednesday, September 10, 2008
गुड्डी बुड्ढी हो गई पर अक्ल नहीं आई
यह पढ़ कर मैंने सोचा कि अक्ल नापने का कौन सा यंत्र है नेता जी के पास, जिस से उन्होंने गुड्डी की अक्ल नाप ली और यह महान घोषणा कर डाली? अगर ऐसा कोई यंत्र है तो उन्हें तुंरत उस के बारे में बताना चाहिए क्योंकि आज अगर किसी को ऐसे यंत्र की सख्त जरूरत है तो वह हैं नेता. बैसे मुझे नहीं लगता कि इन नेता जी ने इस यंत्र का उपयोग कभी ख़ुद पर भी किया होगा. क्योंकि अगर वह ऐसा करते तो ख़ुद के बारे में उन के बहुत से भ्रम दूर हो गए होते और वह इस तरह की ग़लत बयानी न करते. पर क्या करें, नेता लोग तो बस दूसरों पर ऊँगली उठाते हैं. अगर अपने ऊपर ऊँगली उठाने लगें तो इस देश की बहुत सी समस्यायें सुलझ जाएँ.
बैसे ख़ुद को ईमानदार और दूसरों को बेईमान समझने की बीमारी समाज के हर वर्ग में व्याप्त है. अदालत में जज मुजरिमों का सजा देते हैं पर ख़ुद वह क्या हैं, यह अब पता चल रहा है. पुलिस वाले कानून के संरक्षक माने जाते हैं पर वह ख़ुद कानून की क्या हालत करते हैं अब यह बात खुल कर सामने आ गई है. मेरे आफिस में जो भी विजिलेंस आफिसर आता था अपना एक मकान बनबा कर ही विदा होता था. लोगों को धर्म का ज्ञान देने वाले बहुत से संत ख़ुद दरवाजे के पीछे मात्र अधर्म ही करते पाये जाते हैं. वकील कानून को रंडी की तरह इस्तेमाल करते हैं. क्या कहें, कितना कहें, यह दास्ताँ इतनी लम्बी है कि बयां करते-करते क़यामत आ जायेगी पर यह पूरी नहीं होगी.
तो बात हो रही थी एक हताश राजनीतिबाज की जो पिछले काफ़ी दिनों से नफरत फैला रहा है. मेरे एक मित्र यह बयान पढ़ कर हंसने लगे. मैंने कहा मित्रवर यह कोई हास्य या व्यंग नहीं है जो आप ऐसे हंस रहे हैं. यह इस देश के नेताओं का परिचय है, उन के 'नफरत फैलाओ' आन्दोलन का एक हिस्सा है. वह कहने लगे कि रोकर या दुखी होकर क्या कर लूँगा? नेता पागल हो रहे हैं. उन के पीछे चलती जनता पागल हो रही है. धीरे-धीरे सारा प्रदेश पागल हो जायेगा, फ़िर देश पागल हो जायेगा. पागलों का काम तो हँसना है. मैं इसलिए एडवांस में हंस रहा हूँ. आओ तुम भी हंसो. अपने ब्लाग वालों से कहो वह भी हंसें. प्रेक्टिस हो जायेगी. जब कल पागल होकर हंसोगे तो आसानी होगी.
बैसे ख़ुद को ईमानदार और दूसरों को बेईमान समझने की बीमारी समाज के हर वर्ग में व्याप्त है. अदालत में जज मुजरिमों का सजा देते हैं पर ख़ुद वह क्या हैं, यह अब पता चल रहा है. पुलिस वाले कानून के संरक्षक माने जाते हैं पर वह ख़ुद कानून की क्या हालत करते हैं अब यह बात खुल कर सामने आ गई है. मेरे आफिस में जो भी विजिलेंस आफिसर आता था अपना एक मकान बनबा कर ही विदा होता था. लोगों को धर्म का ज्ञान देने वाले बहुत से संत ख़ुद दरवाजे के पीछे मात्र अधर्म ही करते पाये जाते हैं. वकील कानून को रंडी की तरह इस्तेमाल करते हैं. क्या कहें, कितना कहें, यह दास्ताँ इतनी लम्बी है कि बयां करते-करते क़यामत आ जायेगी पर यह पूरी नहीं होगी.
तो बात हो रही थी एक हताश राजनीतिबाज की जो पिछले काफ़ी दिनों से नफरत फैला रहा है. मेरे एक मित्र यह बयान पढ़ कर हंसने लगे. मैंने कहा मित्रवर यह कोई हास्य या व्यंग नहीं है जो आप ऐसे हंस रहे हैं. यह इस देश के नेताओं का परिचय है, उन के 'नफरत फैलाओ' आन्दोलन का एक हिस्सा है. वह कहने लगे कि रोकर या दुखी होकर क्या कर लूँगा? नेता पागल हो रहे हैं. उन के पीछे चलती जनता पागल हो रही है. धीरे-धीरे सारा प्रदेश पागल हो जायेगा, फ़िर देश पागल हो जायेगा. पागलों का काम तो हँसना है. मैं इसलिए एडवांस में हंस रहा हूँ. आओ तुम भी हंसो. अपने ब्लाग वालों से कहो वह भी हंसें. प्रेक्टिस हो जायेगी. जब कल पागल होकर हंसोगे तो आसानी होगी.
Tuesday, September 9, 2008
Sunday, September 7, 2008
दिल्ली पुलिस, आम आदमी और खास आदमी
एक आम आदमी स्कूटर चला रहा था. सड़क पर लगे स्टाप साइन को देख कर उस ने स्कूटर को धीमा कर लिया पर रोका नहीं. यह देख कर दिल्ली ट्रेफिक पुलिसमेन ने उस से उसका ड्राइविंग लाइसेंस माँगा.
आम आदमी ने कहा, 'क्या फर्क पड़ता है, स्कूटर धीमी करो या रोक लो'.
'अभी बताता हूँ', कह कर पुलिसमेन ने उसे पीटना शुरू कर दिया, 'बोलो धीमा करुँ या रोक दूँ?'
आम आदमी रोते हुए बोला, 'रोक दो'.
'अब यह ड्राविंग लाइसेंस से नहीं रुकेगा, तुम्हारी जेब में हाथ डालना पड़ेगा'.पुलिसमेन बोला.
जेब कटवा कर आम आदमी रोता हुआ चला गया.
इतने में एक खास आदमी कार चलाता हुआ आया. उस ने भी कार रोकी नहीं बस धीमी की. पुलिसमेन ने उस से भी ड्राइविंग लाइसेंस माँगा. खास आदमी ने कहा लाइसेंस नहीं है. कार का रजिस्ट्रेशन मांगने पर भी खास आदमी ने कहा नहीं है. पुलिसमेन उसे अफसर के पास ले गया और सारी बात बताई. अफसर के पूछने पर खास आदमी ने कहा कि लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन दोनों पुलिसमेन ने ले लिए हैं और अब पैसे मांग रहा है. फ़िर खास आदमी अपने मोबाइल पर एक नंबर मिलाने लगा.
इस बार पुलिसमेन रोने लगा, 'नहीं सर मैंने कोई लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन नहीं लिया',
अफसर बोला, 'चलो साहब से माफ़ी मांगो', फ़िर खास आदमी से कहा, 'साहब प्लीज इसे माफ़ कर दीजिये',
'चलो माफ़ किया, आइन्दा ख्याल रखना', खास आदमी ने कहा और चला गया.
पुलिसमेन ने शान्ति की साँस ली. अफसर ने उस के एक चांटा लगाया, 'साले दिखाई नहीं देता, खास आदमी से लाइसेंस मांगता है. मरेगा ख़ुद भी और मुझे भी मरवाएगा'.
आम आदमी ने कहा, 'क्या फर्क पड़ता है, स्कूटर धीमी करो या रोक लो'.
'अभी बताता हूँ', कह कर पुलिसमेन ने उसे पीटना शुरू कर दिया, 'बोलो धीमा करुँ या रोक दूँ?'
आम आदमी रोते हुए बोला, 'रोक दो'.
'अब यह ड्राविंग लाइसेंस से नहीं रुकेगा, तुम्हारी जेब में हाथ डालना पड़ेगा'.पुलिसमेन बोला.
जेब कटवा कर आम आदमी रोता हुआ चला गया.
इतने में एक खास आदमी कार चलाता हुआ आया. उस ने भी कार रोकी नहीं बस धीमी की. पुलिसमेन ने उस से भी ड्राइविंग लाइसेंस माँगा. खास आदमी ने कहा लाइसेंस नहीं है. कार का रजिस्ट्रेशन मांगने पर भी खास आदमी ने कहा नहीं है. पुलिसमेन उसे अफसर के पास ले गया और सारी बात बताई. अफसर के पूछने पर खास आदमी ने कहा कि लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन दोनों पुलिसमेन ने ले लिए हैं और अब पैसे मांग रहा है. फ़िर खास आदमी अपने मोबाइल पर एक नंबर मिलाने लगा.
इस बार पुलिसमेन रोने लगा, 'नहीं सर मैंने कोई लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन नहीं लिया',
अफसर बोला, 'चलो साहब से माफ़ी मांगो', फ़िर खास आदमी से कहा, 'साहब प्लीज इसे माफ़ कर दीजिये',
'चलो माफ़ किया, आइन्दा ख्याल रखना', खास आदमी ने कहा और चला गया.
पुलिसमेन ने शान्ति की साँस ली. अफसर ने उस के एक चांटा लगाया, 'साले दिखाई नहीं देता, खास आदमी से लाइसेंस मांगता है. मरेगा ख़ुद भी और मुझे भी मरवाएगा'.
Wednesday, September 3, 2008
एक फ़िल्म गेंग मेन पर भी
शर्मा जी - तो चीन ने खुले तौर पर एलान कर ही दिया कि वह भारत-अमरीका परमाणु करार पर एनएसजी में सवाल उठाएगा.
वर्मा जी - यह तो वह पहले ही कर चुका है और कर रहा है सीपीएम् के माध्यम से. जब मनमोहन और करात की खुट्टी हो गई तो उसे यह साफ़ एलान करना पड़ा.
शर्मा जी - हाँ यह बात तो है. आज करात ने फ़िर धमकाया है कि अगर यह करार हो गया तो भारत की हालत पाकिस्तान जैसी हो जायेगी.
वर्मा जी - कम्युनिस्टों कि यह बात तो माननी पड़ेगी कि वह धमकाने से बाज नहीं आते. जब तक धमक रहे थे मनमोहन खूब धमकाया. अब जब मनमोहन ने धमकना बंद कर दिया तो भी धमकाए जा रहे हैं.
शर्मा जी - तो टाटा ने आखिरकार यह एलान कर ही दिया कि वह सिंगूर से जा रहे हैं.
वर्मा जी - लो जी, गई भेंस पानी में.
शर्मा जी - यह मैं भी समझ नहीं पा रहा हूँ कि इस से किसे फायदा होगा?
वर्मा जी - शायद ममता को अन्दर-ही-अन्दर कोई फायदा हो रहा हो, क्या पता. यह राजनीतिबाज बिना फायदे के कोई काम नहीं करते.
शर्मा जी - आज तक यह सुनते थे कि पैसे वाले और ताकतवर जुर्म कर के भी कानून से छूट जाते हैं. पर आज एक नई बात सुनने में आई.
वर्मा जी - वह क्या भाई?
शर्मा जी - अरे भाई, अदालत ने नंदा को बी एम् डब्लू केस में दोषी करार दिया है. इस पर उस के वकील ने कहा है कि नंदा को यह बहुत ही सख्त सजा इस लिए मिली कि वह पैसे वाला है और ताकतवर भी. अगर कोई गरीब आदमी ड्राइव कर रहा होता तो हलकी सजा पर ही छूट जाता. मीडिया पीछे लग गया, अदालत दबाब में आ गई. बेचारा नंदा फंस गया.
वर्मा जी - वाह भाई वाह, यह तो खूब रही. कानून से हर आदमी को शिकायत है, चाहे छोटा हो या बड़ा, चाहे गरीब हो या अमीर, चाहे कमजोर या ताकतवर.
शर्मा जी - लालू ने कुलियों को गेंग मेन बना दिया था. खूब तारीफ़ हुई थी. खूब तालियाँ बजी थीं.
वर्मा जी - हाँ हाँ मुझे याद है. पर तुम्हें आज यह कैसे याद आ गया?
शर्मा जी - अरे भाई अखबार में ख़बर छपी है. गेंग मेन अपना कुली का बिल्ला वापस मांग रहे हैं. वह कह रहे हैं कि गेंग मेन की नौकरी में कोई मजा नहीं है. बस काम ही काम और नो आराम. लगता है कुली का काम शाही काम है. तभी तो बिग बी भी कुली बन गए थे.
वर्मा जी - लालू को चाहिए कि बिग बी को लेकर एक फ़िल्म गेंग मेन पर भी बनबा दें.
वर्मा जी - यह तो वह पहले ही कर चुका है और कर रहा है सीपीएम् के माध्यम से. जब मनमोहन और करात की खुट्टी हो गई तो उसे यह साफ़ एलान करना पड़ा.
शर्मा जी - हाँ यह बात तो है. आज करात ने फ़िर धमकाया है कि अगर यह करार हो गया तो भारत की हालत पाकिस्तान जैसी हो जायेगी.
वर्मा जी - कम्युनिस्टों कि यह बात तो माननी पड़ेगी कि वह धमकाने से बाज नहीं आते. जब तक धमक रहे थे मनमोहन खूब धमकाया. अब जब मनमोहन ने धमकना बंद कर दिया तो भी धमकाए जा रहे हैं.
शर्मा जी - तो टाटा ने आखिरकार यह एलान कर ही दिया कि वह सिंगूर से जा रहे हैं.
वर्मा जी - लो जी, गई भेंस पानी में.
शर्मा जी - यह मैं भी समझ नहीं पा रहा हूँ कि इस से किसे फायदा होगा?
वर्मा जी - शायद ममता को अन्दर-ही-अन्दर कोई फायदा हो रहा हो, क्या पता. यह राजनीतिबाज बिना फायदे के कोई काम नहीं करते.
शर्मा जी - आज तक यह सुनते थे कि पैसे वाले और ताकतवर जुर्म कर के भी कानून से छूट जाते हैं. पर आज एक नई बात सुनने में आई.
वर्मा जी - वह क्या भाई?
शर्मा जी - अरे भाई, अदालत ने नंदा को बी एम् डब्लू केस में दोषी करार दिया है. इस पर उस के वकील ने कहा है कि नंदा को यह बहुत ही सख्त सजा इस लिए मिली कि वह पैसे वाला है और ताकतवर भी. अगर कोई गरीब आदमी ड्राइव कर रहा होता तो हलकी सजा पर ही छूट जाता. मीडिया पीछे लग गया, अदालत दबाब में आ गई. बेचारा नंदा फंस गया.
वर्मा जी - वाह भाई वाह, यह तो खूब रही. कानून से हर आदमी को शिकायत है, चाहे छोटा हो या बड़ा, चाहे गरीब हो या अमीर, चाहे कमजोर या ताकतवर.
शर्मा जी - लालू ने कुलियों को गेंग मेन बना दिया था. खूब तारीफ़ हुई थी. खूब तालियाँ बजी थीं.
वर्मा जी - हाँ हाँ मुझे याद है. पर तुम्हें आज यह कैसे याद आ गया?
शर्मा जी - अरे भाई अखबार में ख़बर छपी है. गेंग मेन अपना कुली का बिल्ला वापस मांग रहे हैं. वह कह रहे हैं कि गेंग मेन की नौकरी में कोई मजा नहीं है. बस काम ही काम और नो आराम. लगता है कुली का काम शाही काम है. तभी तो बिग बी भी कुली बन गए थे.
वर्मा जी - लालू को चाहिए कि बिग बी को लेकर एक फ़िल्म गेंग मेन पर भी बनबा दें.
Monday, September 1, 2008
भगवान् बोले,मैंने भी तो अपना घर बचाना है
कल रात मैंने एक सपना देखा,
सपने में देखा भगवान् को,
मैं तो उन्हें पहचान नहीं पाया,
पहले कभी देखा नहीं था न,
पर वह मुझे पहचान गए,
कहने लगे, 'तुम सुरेश हो न?',
मैंने कहा हाँ, और आप?
उन्होंने बताया मैं भगवान् हूँ,
मैंने कहा आप से मिल कर बहुत खुशी हुई,
'लेकिन मुझे नहीं हुई', वह बोले,
मैं घबरा गया, काँपने लगा,
बोला, 'क्या गलती हो गई भगवन?'
'यह क्या उल्टा-सुलटा लिखते रहते हो ब्लाग्स पर?
जानते नहीं यह नारी प्रगति का ज़माना है,
और कलियुग में प्रगति का मतलब है उल्टा चलना,
वास्तव में यह उल्टा चलना ही सीधा चलना है,
इतनी सी बात नहीं समझ पाते तुम?
अब नारी घर के बाहर रहेगी,
हर वह काम करेगी जो पुरूष करता है,
घर चलाना है तो पुरूष को करना होगा हर वह काम,
जो नारी करती थी अब तक,
वरना न घर होगा न घरवाली',
इतना कह कर वह अद्रश्य होने लगे,
मैं चिल्लाया, 'मेरी बात तो सुनिए',
अद्रश्य होते-होते वह बोले,
'इतना ही समय दिया था मुझे मेरी पत्नी ने,
मैंने भी तो अपना घर बचाना है'.
सपने में देखा भगवान् को,
मैं तो उन्हें पहचान नहीं पाया,
पहले कभी देखा नहीं था न,
पर वह मुझे पहचान गए,
कहने लगे, 'तुम सुरेश हो न?',
मैंने कहा हाँ, और आप?
उन्होंने बताया मैं भगवान् हूँ,
मैंने कहा आप से मिल कर बहुत खुशी हुई,
'लेकिन मुझे नहीं हुई', वह बोले,
मैं घबरा गया, काँपने लगा,
बोला, 'क्या गलती हो गई भगवन?'
'यह क्या उल्टा-सुलटा लिखते रहते हो ब्लाग्स पर?
जानते नहीं यह नारी प्रगति का ज़माना है,
और कलियुग में प्रगति का मतलब है उल्टा चलना,
वास्तव में यह उल्टा चलना ही सीधा चलना है,
इतनी सी बात नहीं समझ पाते तुम?
अब नारी घर के बाहर रहेगी,
हर वह काम करेगी जो पुरूष करता है,
घर चलाना है तो पुरूष को करना होगा हर वह काम,
जो नारी करती थी अब तक,
वरना न घर होगा न घरवाली',
इतना कह कर वह अद्रश्य होने लगे,
मैं चिल्लाया, 'मेरी बात तो सुनिए',
अद्रश्य होते-होते वह बोले,
'इतना ही समय दिया था मुझे मेरी पत्नी ने,
मैंने भी तो अपना घर बचाना है'.
यह भी एक दुनिया है
अक्सर लोग और मैं भी कुछ न कुछ अच्छी बातें लिखते रहते हैं, जिनसे कुछ और लोगों को तकलीफ होती है. इन लोगों की बातें भी सुनिए. यह भी एक दुनिया है:
नेताओं की दुनिया मैं आइये,
यहाँ नफरत और झूट का राज्य है,
इस राज्य मैं आप का स्वागत है.
नेता भगवान का रूप हैं,
आइये नेताओं में भगवान के दर्शन करें.
नेता राष्ट्र की धरोहर हैं,
सुखी नेता, सुखी राष्ट्र.
अपने बच्चों को सही बातें मत सिखायेंगे,
तभी तो हम उन्हें बुरी बातें सिखा पायेंगे,
और नेता बना पायेंगे.
घर का कूड़ा इधर उधर फैंकिये,
इस से बीमारियाँ फेलेंगी,
देश की आबादी कम होगी.
सबसे नफरत करिये,
नफरत जीवन को संवारती है.
हम एक अच्छा नेता बनना चाहते हैं,
नफरत करके हमारी मदद कीजिए.
अच्छे पड़ोसी मत बनिए,
क्योंकि अच्छे पड़ोसी होते ही नहीं.
नेताओं की दुनिया मैं आइये,
यहाँ नफरत और झूट का राज्य है,
इस राज्य मैं आप का स्वागत है.
नेता भगवान का रूप हैं,
आइये नेताओं में भगवान के दर्शन करें.
नेता राष्ट्र की धरोहर हैं,
सुखी नेता, सुखी राष्ट्र.
अपने बच्चों को सही बातें मत सिखायेंगे,
तभी तो हम उन्हें बुरी बातें सिखा पायेंगे,
और नेता बना पायेंगे.
घर का कूड़ा इधर उधर फैंकिये,
इस से बीमारियाँ फेलेंगी,
देश की आबादी कम होगी.
सबसे नफरत करिये,
नफरत जीवन को संवारती है.
हम एक अच्छा नेता बनना चाहते हैं,
नफरत करके हमारी मदद कीजिए.
अच्छे पड़ोसी मत बनिए,
क्योंकि अच्छे पड़ोसी होते ही नहीं.
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