भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है अब तो.

Wednesday, September 10, 2008

गुड्डी बुड्ढी हो गई पर अक्ल नहीं आई

यह पढ़ कर मैंने सोचा कि अक्ल नापने का कौन सा यंत्र है नेता जी के पास, जिस से उन्होंने गुड्डी की अक्ल नाप ली और यह महान घोषणा कर डाली? अगर ऐसा कोई यंत्र है तो उन्हें तुंरत उस के बारे में बताना चाहिए क्योंकि आज अगर किसी को ऐसे यंत्र की सख्त जरूरत है तो वह हैं नेता. बैसे मुझे नहीं लगता कि इन नेता जी ने इस यंत्र का उपयोग कभी ख़ुद पर भी किया होगा. क्योंकि अगर वह ऐसा करते तो ख़ुद के बारे में उन के बहुत से भ्रम दूर हो गए होते और वह इस तरह की ग़लत बयानी न करते. पर क्या करें, नेता लोग तो बस दूसरों पर ऊँगली उठाते हैं. अगर अपने ऊपर ऊँगली उठाने लगें तो इस देश की बहुत सी समस्यायें सुलझ जाएँ.

बैसे ख़ुद को ईमानदार और दूसरों को बेईमान समझने की बीमारी समाज के हर वर्ग में व्याप्त है. अदालत में जज मुजरिमों का सजा देते हैं पर ख़ुद वह क्या हैं, यह अब पता चल रहा है. पुलिस वाले कानून के संरक्षक माने जाते हैं पर वह ख़ुद कानून की क्या हालत करते हैं अब यह बात खुल कर सामने आ गई है. मेरे आफिस में जो भी विजिलेंस आफिसर आता था अपना एक मकान बनबा कर ही विदा होता था. लोगों को धर्म का ज्ञान देने वाले बहुत से संत ख़ुद दरवाजे के पीछे मात्र अधर्म ही करते पाये जाते हैं. वकील कानून को रंडी की तरह इस्तेमाल करते हैं. क्या कहें, कितना कहें, यह दास्ताँ इतनी लम्बी है कि बयां करते-करते क़यामत आ जायेगी पर यह पूरी नहीं होगी.

तो बात हो रही थी एक हताश राजनीतिबाज की जो पिछले काफ़ी दिनों से नफरत फैला रहा है. मेरे एक मित्र यह बयान पढ़ कर हंसने लगे. मैंने कहा मित्रवर यह कोई हास्य या व्यंग नहीं है जो आप ऐसे हंस रहे हैं. यह इस देश के नेताओं का परिचय है, उन के 'नफरत फैलाओ' आन्दोलन का एक हिस्सा है. वह कहने लगे कि रोकर या दुखी होकर क्या कर लूँगा? नेता पागल हो रहे हैं. उन के पीछे चलती जनता पागल हो रही है. धीरे-धीरे सारा प्रदेश पागल हो जायेगा, फ़िर देश पागल हो जायेगा. पागलों का काम तो हँसना है. मैं इसलिए एडवांस में हंस रहा हूँ. आओ तुम भी हंसो. अपने ब्लाग वालों से कहो वह भी हंसें. प्रेक्टिस हो जायेगी. जब कल पागल होकर हंसोगे तो आसानी होगी.

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

बहुत खुब अजी कल हसंना हे पागल बन कर तो आज ही से हंसना शुरु कर दे.
धन्यवाद

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