भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है अब तो.

Sunday, October 4, 2009

अच्छा बापू अब अगले साल याद करेंगे तुम्हें

मेरा एक दोस्त जो सरकारी बाबू है इस बार बापू से बहुत खुश था. बापू ने इस साल शुक्रवार को पैदा होकर बहुत अच्छा किया, तीन छुट्टियां बन गईं और वह मसूरी निकल लिया. और भी बहुत सारे लोग बापू से इस बात पर खुश होते हैं कि वह हर साल २ अक्टूबर को पैदा होते हैं और उनकी जेब गरम कर जाते हैं. सरकार ने जनता का करोडों रुपया पानी की तरह बहा दिया विज्ञापनों में. यह बहता पानी कुछ तो गया नेताओं और बाबुओं की जेब में, कुछ गया अखवार वालों की जेब में, और कुछ गया ...... अरे भाई किसी न किसी जेब में तो गया होगा. कुछ सरकारों ने बापू के नाम पर गरीब जनता के लिए कुछ योजनाओं की घोषणा कर दी. अब बापू के अगले जन्म दिन तक सब मजे करेंगे.

एक नवोदित लेखक ने बापू को चिट्ठी लिख डाली कि बापू एक दिन के लिए आ जाओ और ६० सालों में जो बिगडा है उसे ठीक कर जाओ. साथ ही धमकी भी दे दी कि अगर नहीं आये तो हम खुद ठीक कर लेंगे. एक नए मंत्री ने ट्वीट कर दी कि बापू के जन्म दिन पर सब को काम करना चाहिए. इस पर कुछ राजनीतिबाजों ने आदतन बयानबाजी कर डाली. और भी बहुत से लोगों ने कुछ किया होगा और कुछ ने कुछ नहीं भी किया होगा. मतलब यह कि बापू का जन्म दिन आया और निकल गया. कुछ को पता चला और कुछ को नहीं पता चला. जिन को पता चला उन्होंने क्या उखाड़ लिया और जिन्हें नहीं पता चला वह क्या उखाड़ लेते अगर पता चल जाता. हर साल की तरह जो होता है वह इस साल भी हुआ और अगले साल भी होगा.

आज तक कोई बापू को समझ नहीं पाया. सब ने उन्हें अपने हिसाब से समझा. वह जैसे थे बैसा किसी ने नहीं समझा. बापू हम सबकी तरह एक आम इंसान थे. वह कोई मसीहा नहीं थे. बस कुछ आम इंसान अपने व्यवहार में दूसरे आम इंसानों से ऊपर उठ जाते हैं. बापू एक ऐसे ही आम इंसान थे. पर कुछ लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए उन्हें मसीहा का नाम दे दिया, राष्ट्रपिता कह दिया, और इस ब्रांडिंग का पेटेंट अपने नाम कर लिया. आज तक उनकी पीढियां इस ब्रांडिंग का फायदा उठा रही हैं. वास्तविकता तो यह है कि बापू के आदर्शों का सबसे ज्यादा मजाक इन्हीं लोगों ने उड़ाया. यह बापू की सबसे बड़ी कमजोरी थी कि वह सही और गलत आदमी में भेद नहीं कर पाए. सब उन्हें प्यार करते थे, उनका आदर करते थे, और इसी प्यार और आदर का गलत इस्तेमाल करके बापू ने इन गलत लोगों को इस देश और जनता पर थोप दिया.

बापू की सबसे बड़ी खासियत थी उनका मानवीय संबंधों के प्रति आदर. मेरे विचार से यह एक खासियत बापू को एक आम इंसान से बहुत ऊपर उठा ले गई. अफ़सोस की बात यह है कि उनकी इसी खासियत को लोग समझ नहीं पाए. बापू सबसे प्रेम करते थे. उन्होंने कभी किसी से नफरत नहीं की. यही प्रेम उनके अहिंसा के सिद्धांत का आधार था. जो इंसान प्रेम करता है वह हिंसक हो ही नहीं सकता. आज भारतीय समाज में मानवीय संबंधों के प्रति जो अनादर है उसे दूर किये बिना बापू का जन्म दिन मनाने का कोई मतलब नहीं है.

2 comments:

Anil Pusadkar said...

बहुत सही लिखा है।सहमत हूं आपसे सौ प्रतिशत्।

राज भाटिय़ा said...

सच मै बापू समझ नही सके दो गले लोगो को, ओर हमारे गले डाल दिन उन अग्रेजो के टटूयो को जिन्होने ओर उस के बाद उस के बचे खुचे परिवार ने हमे फ़िर से गुलाम बना दिया...
बापू तेरी एक गलती ने,एक प्यार ने कितने अरब लोगो के दिल दुखाये, लेकिन समझ फ़िर भी ना पाये

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