साझा धन खेल स्पर्धा,
हो गई समय से पहले शुरू,
कल्मादी, हूपर, फेनेल,
जुट गए मल्ल युद्ध में,
दुसरे को नीचा दिखाने की,
खुद को ऊंचा साबित करने की,
अघोषित प्रतियोगिता का स्वर्ण पदक,
कौन जीतेगा?
कोई भी जीते,
क्या फर्क पड़ता है,
खेल तो हार गए.
हम आज ऐसे समाज में रहते हैं जो बहुत तेजी से बदल रहा है और हम सबके लिए नए तनावों की स्रष्टि कर रहा है. पर साथ ही साथ समाज में घट रही बहुत सी घटनाएं हमारे चेहरे पर मुस्कान ले आती हैं. हमारे तनाव, भले ही कुछ समय के लिए, कम हो जाते हैं. हर घटना का एक हास्य-व्यंग का पहलू भी होता है. इस ब्लाग में हम उसी पहलू को उजागर करने का प्रयत्न करेंगे.
3 comments:
गेम हो जाएं तो बड़ी बात होगी
शीर्षक सामयिक लगा, सारे मिल कर साझा कर वेल्थ बना रहे हैं ....
शुभकामनायें भाई जी !
सुना है इस कामन वेल्थ मै ९०% पेसा सिर्फ़ भारत का होता है?? क्या यह सच है??
आप की कविता बहुत अच्छी लगी, अभी गेम हो जाये फ़िर देखे...धन्यवाद
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