कल फिर मेरी जेब कट गई,
जेब क्या कटी, ऐसा लगा,
जैसे दिन दहाड़े बाज़ार में,
किसी ने मेरी कमीज़ उतार ली,
और मुझे नंगा कर दिया,
रिपोर्ट लिखाने थाने पहुंचा,
पुलिस वाले हंसने लगे,
दिल्ली सरकार ने जेब काटी,
दिल्ली पुलिस में शिकायत,
वाह क्या बात है !!
दिल्ली में रहना अपराध हो गया,
पानी महंगा, बिजली महंगी,
तेल महंगा, गैस महंगी,
हर चीज़ पर टेक्स,
साझा धन खेल बन गए जी का जंजाल,
दुनिया की सबसे महंगी जेबकटी,
एक झटके में ११३४ करोड़,
मेरे पडोसी ने वोट दिया शीला को,
और सजा मिल रही है मुझे,
मेरे पैसे से पांच सितारा मूत्रालय,
वह खेलने आयेंगे या मूतने?
है भगवान् बना दो मुझे,
एक दिन का प्रधान मंत्री,
सारे स्टेडियम, सारे फ्लाई ओवर,
सारी सड़कें, सारे मूत्रालय,
सारे अधिकारी, सारे खिलाड़ी,
फीता काटने वाले,
जो भी सम्बंधित है साझा धन खेल से,
भर कर जहाज़ों में,
भेज दूंगा लन्दन को,
रानी अपने यहाँ करा यह खेल,
अब हम गुलाम नहीं हैं तेरे,
अब हमारी रानी अपने देश में नहीं रहती,
वह यहीं आ कर राज करती है,
और अब हमारा राष्ट्रीय खेल हाकी नहीं,
राजनीति की शतरंज है,
वह खेलना है तो आ जा,
इंगलिस्तान जीत लेंगे तुझसे.
हम आज ऐसे समाज में रहते हैं जो बहुत तेजी से बदल रहा है और हम सबके लिए नए तनावों की स्रष्टि कर रहा है. पर साथ ही साथ समाज में घट रही बहुत सी घटनाएं हमारे चेहरे पर मुस्कान ले आती हैं. हमारे तनाव, भले ही कुछ समय के लिए, कम हो जाते हैं. हर घटना का एक हास्य-व्यंग का पहलू भी होता है. इस ब्लाग में हम उसी पहलू को उजागर करने का प्रयत्न करेंगे.
भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है अब तो.
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7 comments:
हां-हा-हा, ये नाम बढ़िया दिया आपने जेब कटी , लेकिन उससे भेई बड़ी जेब कटी जनपथ पर रहती है ! सब उसी की छत्रछाया में हो रहा है !
वाह...मजेदार....यह तो पहेली हो गयी.
............
आज मैंने नानी-दादी की पहेलियों को याद किया............
......................
विलुप्त होती... नानी-दादी की बुझौअल, बुझौलिया, पहेलियाँ....बूझो तो जाने....
.........मेरे ब्लॉग पर.....
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_23.html
लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से.
जेबें खुद ही वस्त्रों से कटवा दें
फिर कैसे जेबकटी के शिकार होंगे
bilkul theek likha hai..
दिल्ली वालों के साथ उस दिन मेरी भी जेब कट गयी थी
पुलिस में शिकायत करने गया तो मुझे गिरफ्तार कर लिया गया. आरोप था कि जेब ही क्यूँ लगाया.
गिरहकटी कहां...यहां तो डकैती चल रही है
अति उत्तम रचना। लिखने को कुछ नहीं छोड़ा आपने।
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