पटना में चाय की एक दुकान,
बतिया रहे थे कुछ बिहारी,
यह नितीश बौरा गए हैं क्या?
गुजरात की जनता ने मदद भेजी,
यह ससुर लौटा दिए उस को,
मरे गरीब बाढ़ में,
वह गए घर, खेत, खलिहान,
इनका क्या बिगड़ा?
जनता की जनता को मदद,
यह कौन हैं लौटाने वाले?
दिमाग में चढ़ गई है सत्ता,
भूल गए हैं ससुर,
जनता ने बिठाया था कुर्सी पर,,
जनता ही उतार देगी,
कोई समझाए इनको,
न लें जनता से पंगा.
हम आज ऐसे समाज में रहते हैं जो बहुत तेजी से बदल रहा है और हम सबके लिए नए तनावों की स्रष्टि कर रहा है. पर साथ ही साथ समाज में घट रही बहुत सी घटनाएं हमारे चेहरे पर मुस्कान ले आती हैं. हमारे तनाव, भले ही कुछ समय के लिए, कम हो जाते हैं. हर घटना का एक हास्य-व्यंग का पहलू भी होता है. इस ब्लाग में हम उसी पहलू को उजागर करने का प्रयत्न करेंगे.
भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है अब तो.
Thursday, June 24, 2010
Wednesday, June 23, 2010
हाथ का सही इस्तेमाल
एक कहावत सुनी थी,
हाथ मिलाने से बन जाते हैं दुश्मन मित्र,
यहाँ हाथ मिलाते हुए विज्ञापन क्या छपा,
गले की जंजीर बन गया,
रात भूखी रह कर काटनी पड़ी,
नितीश ने सामने से खाने की थाली छीन ली,
और एक कांग्रेस है,
हाथ दिखाती है और सत्ता में आ जाती है,
हमने कहावत बदल दी,
हाथ मिलाओगे मुश्किल में पड़ जाओगे,
हाथ दिखाओगे सत्ता में आ जाओगे.
हाथ मिलाने से बन जाते हैं दुश्मन मित्र,
यहाँ हाथ मिलाते हुए विज्ञापन क्या छपा,
गले की जंजीर बन गया,
रात भूखी रह कर काटनी पड़ी,
नितीश ने सामने से खाने की थाली छीन ली,
और एक कांग्रेस है,
हाथ दिखाती है और सत्ता में आ जाती है,
हमने कहावत बदल दी,
हाथ मिलाओगे मुश्किल में पड़ जाओगे,
हाथ दिखाओगे सत्ता में आ जाओगे.
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दिल्ली का सच्चा सच
एक दिन अखबार में खबर आई,
एक सिरफिरे ने पीआइएल लगा दी,
कामनवेल्थ साईट्स पर,
हो रहा है अमानवीय व्यवहार,
मजदूरों के साथ,
हाई कोर्ट ने कमेटी बना दी,
कमेटी ने सच्चाई बता दी,
जानवरों से बदतर हालात हैं मजदूरों के,
न्यूनतम वेतन नहीं मिलता,
ओवरटाइम का पैसा नहीं मिलता,
सरकार सक्रिय हो गई,
खबर अखवार से गायब हो गई.
एक सिरफिरे ने पीआइएल लगा दी,
कामनवेल्थ साईट्स पर,
हो रहा है अमानवीय व्यवहार,
मजदूरों के साथ,
हाई कोर्ट ने कमेटी बना दी,
कमेटी ने सच्चाई बता दी,
जानवरों से बदतर हालात हैं मजदूरों के,
न्यूनतम वेतन नहीं मिलता,
ओवरटाइम का पैसा नहीं मिलता,
सरकार सक्रिय हो गई,
खबर अखवार से गायब हो गई.
Thursday, June 17, 2010
दिल्ली एक विश्व स्तर का शहर है - इसे हास्य कहूं या व्यंग ???
केंद्र में कांग्रेस सरकार और दिल्ली की मुख्य मंत्री यह दावा करती हैं कि दिल्ली एक विश्व स्तर का शहर है - यह हास्य है. दिल्ली की जनता ने शीला जी को तीसरी बार मुख्य मंत्री बनाया - यह व्यंग है. मैंने उन्हें वोट नहीं दिया. इस का एक कारण था कि मैंने डीडीए डिस्ट्रिक्ट पार्क पश्चिम पुरी को देखा है. अगर आप इस पार्क को देख लेते तब शायद आप भी शीला जी को तीसरी बार वोट नहीं देते. अगर आपने अभी तक इस पार्क को नहीं देखा है तब मैं आपको इस पार्क में आने का निमंत्रण देता हूँ. जब तक इस के लिए समय निकालें, तब तक इस लिंक पर क्लिक करें और यह स्लाइड शो देखें.
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