चुनाव का मौसम आया,
यानी नंगा होने का मौसम आया,
देखना, कैसे-कैसे फैशनबाज,
नंगे होते हैं और नंगा करते हैं?
नफरत का नंगा नाच करेंगे,
ईमान, अगर बचा है,
तो उसे बेचेंगे,
पहले टिकट खरीदेंगे,
फ़िर वोट खरीदेंगे.
हम आज ऐसे समाज में रहते हैं जो बहुत तेजी से बदल रहा है और हम सबके लिए नए तनावों की स्रष्टि कर रहा है. पर साथ ही साथ समाज में घट रही बहुत सी घटनाएं हमारे चेहरे पर मुस्कान ले आती हैं. हमारे तनाव, भले ही कुछ समय के लिए, कम हो जाते हैं. हर घटना का एक हास्य-व्यंग का पहलू भी होता है. इस ब्लाग में हम उसी पहलू को उजागर करने का प्रयत्न करेंगे.
1 comment:
आपकी भावना की कद्र करताहूँ
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