भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है अब तो.

Monday, August 17, 2009

वह जमानत पर रहेंगे

उनकी जमानत की अर्जी मंजूर हो गई,
सरकारी वकील की बहस नामंजूर हो गई,
अदालत में फिर एक बार साबित हो गया,
कानून अँधा नहीं है,
वह अपराधी को देखता है,
उसके परिवार के देखता है,
उसके सोशल स्टेटस को देखता है,
और वह कोई चपरासी नहीं थे,
वह तो थे सुपुत्र एक महान नेता के,
दलितों के आयोग के मुखिया के,
और कोई पांच रुपये की रिश्वत का मामला नहीं था यह,
एक करोड़ की रिश्वत का मामला था,
चपरासी होते तो नौकरी जाती,
जेल भी जाते,
अदालत ने चिंता जतायी,
अगर जेल में उनका चरित्र बिगड़ गया तो?
किसी अपराधी ने उन्हें छू लिया तो?
एक करोड़ से पांच रुपये का पतन,
अदालत को बर्दाश्त नहीं हुआ,
और एक महान निर्णय आया,
वह जमानत पर रहेंगे,
अपने घर,
अपने महान पिता की गोद में.

1 comment:

Anonymous said...

एकदम सही है, कानून की देवी बदचलन है, यह अंधे होने का नाटक करती है और पट्टी खिसका कर देख लेती है कि मुज़रिम उसका खास है या आम आदमी,

एसी देवी के सेवक कैसे होंगे? पैसे की खनखनाहट पर बड़े बड़े फैसले बिक जाते है, कानून बिक जाता है, ईमान बिक जाता है,

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