भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है अब तो.

Thursday, September 25, 2008

कुछ हंसिकाएं

मेरे कुछ ब्लाग्स पर बिखरी पड़ी हैं कुछ हंसिकाएं। सोचा इकट्ठी कर के यहाँ डाल दूँ।

तुम काली हो ये फरिश्‍तों की भूल है/
वो तिल लगा रहे थे कि स्‍याही बिखर गयी।

"जो कुछ अच्छा हुआ,
वह हमने किया,
जो कुछ बुरा हुआ,
वह किया अधिकारियों ने",
यह सीधी बात नहीं समझती जनता,
ख़ुद भी होती है परेशान,
हमें भी करती है परेशान.

कुछ मत देखो,
कुछ मत सुनो,
कुछ मत कहो,
बस हमें वोट देते रहो।

सरकार करती हे रोजगार,
बेचती है पानी,
अगली चीज क्या बेचेगी सरकार?
हवा, सूरज की धूप या फूलों की खुशबू.

"लोग मुझे युवराज कहें,
यह मुझे अच्छा नहीं लगता,
क्या वह मुझे राजा नहीं कह सकते?"

लोगों ने ट्रेफिक जाम लगाया,
लोगों ने ट्रेफिक जाम हटाया,
पुलिस चेक पोस्ट पर बैठी रही,
गाड़ियों को रोकती रही,
जेब गरम करती रही.

भारत एक राजतान्त्रिक देश है,
जनता द्वारा चुने जाने के बाद,
जन-प्रतिनिधि राजा हो जाते हैं
और सत्ता की राजनीति चलाते हैं.

बचपन में पढ़ा था,
साहित्य समाज का दर्पण होता है,
पर आज टुकड़ों मैं बँटे समाज ने,
दर्पण ही खंडित कर दिया है.

2 comments:

राज भाटिय़ा said...

तुम काली हो ये फरिश्‍तों की भूल है/
वो तिल लगा रहे थे कि स्‍याही बिखर गयी।
भाई अब फ़रिशते को पकड कर इसे उस के हवाले कर दो, कही सभी कालिया आप के पीछे लग गई तो????????

Girish Kumar Billore said...

Jai ho Sir ji
Sadar Abhivadan

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