भ्रष्टाचार है - तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना, कानून की अवहेलना, योग्यता के मुकाबले निजी पसंद को तरजीह देना, रिश्वत लेना, कामचोरी, अपने कर्तव्य का पालन न करना, सरकार में आज कल यही हो रहा है. बेशर्मी भी शर्मसार हो गई है अब तो.

Monday, January 19, 2009

क्यों भई क्यों, आख़िर क्यों?

नजर आती है उनकी तस्वीर,
हर सरकारी विज्ञापन में,
आख़िर कौन हैं वह?
क्या पोजीशन है उनकी?
भारत सरकार में?

सरकार के हर फैसले में,
क्यों नजर आती है?
उनकी दखलंदाजी,
क्यों झुकी रहती है हर समय?
सरकार उनके क़दमों में,

एक देश की गुलामी से मुक्त होकर,
हो गए गुलाम भारतवासी,
एक परिवार के,
एक परिवार के मुखिया के,
कैसी आज़ादी है यह?

क्यों भई क्यों, आख़िर क्यों? 

4 comments:

निर्मला कपिला said...

खूब लिखा है

राज भाटिय़ा said...

यह हमारे जय चंदो की नजायज मां ही होगी. क्योकि इन्हे अपनी देसी मां तो पसंद नही, वाप भी पसंद नही, थोडे दिनो मे कोई गोरा तगडा सा बाप भी ढुढ लेगे

संजय बेंगाणी said...

ये भारत के राज परिवार की मूखिया है. लगता है आपको राजशाही के नियम नहीं पता.

संगीता पुरी said...

अच्‍छा लिखा है।

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