त्रियंका - मॉम अब आपको जरूर कुछ करना चाहिए.
नोनिया - क्यों बेटी, इस बार क्या खास बात हो गई?
त्रियंका - इस बार उन्होंने उस होटल पर अटेक कर दिया जिस में हम जैसे खास लोग ठहरते हैं.
नोनिया - अरे हाँ, यह तो मैंने सोचा ही नहीं.
काहिल - यस् मॉम, यह तो हद कर दी इन आतंकिओं ने. इनकी हिम्मत इतनी हो गई कि आम आदमियों के साथ-साथ खास आदमिओं पर भी अटेक करने लगे. इस तरह तो हमारा बाहर निकलना ही बंद हो जायेगा.
नोनिया - तुम सही कहते हो. बेटी, फोन लगाओ तनमोहन अंकल को.
त्रियंका- हेलो अंकल, मॉम बात करेंगी.
नोनिया - हेलो तनमोहन, क्या कर रहे थे?
तनमोहन - पांय लागूं मैडम, बस जरा आँख लग गई थी.
नोनिया - तुम बहुत सुस्त हो गए हो, अब दोपहर में भी सोने लगे.
तनमोहन - क्या करुँ मैडम, काम तो कुछ है नहीं.
नोनिया - ठीक है, पर आज कल तो जगे रहो. मुंबई में आतंकी हमला हुआ है. मीडिया को भनक मिल गई तो मुश्किल हो जायेगी. तानिशेक ननु को सफाई के बयान देने पड़ेंगे.
तनमोहन - जी मैडम, अब ध्यान रखूंगा. क्या आज्ञा है?
नोनिया - भई इस बार कुछ करना होगा. त्रियंका नाराज हो रही है. इस बार तो आतंकियों ने उसके फेवरेट होटल पर ही अटेक कर दिया है. इस साल नए साल की पार्टी वह इस होटल में करना चाहती थी.
तनमोहन - शेशमुख ने तो पहले ही इलीट फोर्स लगा दी है. सारे इलीट सिटीजन इस बात से खुश हैं कि उनकी रक्षा इलीट फोर्स कर रही है. त्रियंका बेटी अब और क्या चाहती हैं. क्या लिलानी को फोन कर दूँ कि आपको यह बात बुरी लगी है. आम आदमियों तक तो मारा-मारी ठीक है, खास आदमियों की तरफ न देखें.
नोनिया - यह तो करो, पर कुछ लोगों को लटकाना भी होगा. पाटिल से कहो अब आराम करे. इस बार पब्लिक में नाराजी कुछ ज्यादा ही है. हर बार से कुछ ज्यादा करना होगा इस बार.
तनमोहन - आप सही कह रही हैं मैडम. यह आम आदमी भी अजीब हैं, ख़ुद मर रहे थे तो कम नाराज थे, कुछ खास आदमी मर गए तो ज्यादा नाराज हो गए.
नोनिया - यह आम आदमी मेरी समझ में भी नहीं आए, पर हमें कुर्सी पर तो यह लोग ही बैठाते हैं. इनके लिए कुछ करो मत पर कहते रहो. इस बार कुछ ज्यादा कहो और करने का नाटक भी करो. मैं कार्य समिति की बैठक बुलाती हूँ. तुम सब दलों को इकठ्ठा करो. मैं त्रियंका से सलाह करती हूँ. कुछ ऐसा करना होगा कि आतंक पर हम कुछ कर रहे हैं ऐसा लगे. अगले साल चुनाव भी तो जीतना है.
तनमोहन - आप सही कह रही हैं मैडम. मैं काम पर लगता हूँ. पांय लागूं मैडम.
निनिया - सुखी रहो. कुर्सी पर जमे रहो.
3 comments:
कुछ ऐसा करना होगा कि आतंक पर हम कुछ कर रहे हैं ऐसा लगे इसलिए कुछ लोगों को लटकाया भी गया . क्योंकि अगले साल चुनाव भी तो जीतना है. बस यही वजह है की कांग्रेस ये सब कर रही है कुछ दिनों के बाद तो फिर वही कुत्ते - बिल्ली वाली राजनीति चलती रहेगी . कोई कितना भी कुछ कर ले ये नेता लोग कुत्ते के पूछ की तरह होते है........!!
satya vachan guptaji.
गुप्ता जी बहुत सुंदर, अभी तो ओर भी लुभाने नाटक होने है.
धन्यवाद
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