दिल्ली के चुनावों में जनता ने फ़िर कांग्रेस को चुन दिया और चुना भी काफ़ी जोर शोर से. जनता ने तो अपना काम कर दिया, पर राजनीतिबाजों को परेशानी में डाल दिया. भाजपा इसलिए परेशान है कि हार क्यों गए. कांग्रेस इसलिए परेशान है की इतनी सारी सीटों पर जीत कैसे गए.
भाजपा की परेशानी इतनी बड़ी नहीं है. बहुत सारे कारण हैं इस हार के. ग़लत मुद्दों पर ज्यादा जोर. सही मुद्दों पर कम जोर. 'कांग्रेस महंगी पड़ी' का नारा ख़ुद भाजपा पर महंगा पड़ गया.
कांग्रेस की परेशानी बाकई परेशान करने वाली है. कांग्रेस जानती है कि उसकी सरकार ने पिछले ५ वर्षों में बहुत गड़बड़ की है. विकास की जो बात चुनाव प्रसार में कांग्रेस ने की, वह ख़ुद कांग्रेस को झूटी लग रही थी, पर यह जनता को क्या हो गया कि कांग्रेस का यह झूट उस ने सच मान लिया. पाँच साल तक भुगता बहुत कुछ और यकीन कर लिया कि कुछ नहीं भुगता. वाह री दिल्ली की जनता.
कल मैं ऑटो से आ रहा था. खूब झटके लग रहे थे. ड्राइवर भी परेशान हो गया था, झटके खा-खा कर. गाली देने लगा दिल्ली की सड़कों को, सरकार को. मैंने कहा अब क्या गाली देते होते हो, चुन तो तुमने उसी सरकार को लिया. चुप हो गया बेचारा. फ़िर कुछ देर बाद धीरे से बोला, फ़िर साली गलती करदी. मैंने कहा अब क्या फायदा? पाँच साल भुगतो अब यह गलती. पाँच साल बाद फ़िर यही गलती करना. दिल्ली के लोगों को गलती करने और भुगतने की आदत हो गई है.
कुछ दिन बाद सब सेट हो जायगा. न भाजपा परेशान रहेगी और न कांग्रेस. आने वाले लोकसभा चुनाव में लग जायेंगे दोनों. हमेशा की तरह परेशान रहेगी, दिल्ली की आम जनता.
6 comments:
यही होता रहेगा। अब वोटों और चंद पार्टियों में कैद जनतंत्र को जन संगठन बना कर आजाद करना पड़ेगा।
सयाना आदमी पहली बार ठोकर लगने पर समभल जाता है, नादान ओर बच्चा दो तीन ठोकरे लगने पर समभल जाता है, बेबकुफ़ आदमी सारी जिन्दगी ठोकरे लगने पर भी नही समभलता, क्योकि उसे आदत पड जाती है, यही हाल हम सब का है.... अब कोई क्या करे???
With passing time, congress and BJP will set in their jobs. For five year now only public will remain PARESHAAN.
जैसे कमान से निकला तीर वापस नहीं आता बैसे ही वोट देने के बाद वापस नहीं आता. वोट डालने के बाद केवल जनता ही परेशान होती है, नेता तो मजे करते हैं.
काश कभी ऐसा दिन आए कि नेता परेशान हो और जनता मजे करे!!
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