समय का महत्त्व और रेल मंत्रालय
"यदि आप समय पर अपने गंतव्य पर पहुँचना चाहते हैं तब भारतीय रेल से यात्रा न करें. समय की हमारे लिए कोई कीमत नहीं है"
कर्तव्य और अधिकार वनाम उत्पाद और सेवा निर्माता
"ग्राहक को तंग करना हमारा कर्तव्य भी है और अधिकार भी"
किसके बफादार किसके गले पड़े!
मार्च १९६० में अर्जुन सिंह ने नेहरू से कहा - जीवन भर आपका और आपके परिवार का बफादार रहूँगा. इस बफादारी का ईनाम दिया देश ने. बफादारी एक परिवार की और भुगत रहा है देश.
सरकार और ग्राहक
दिल्ली सरकार ने विज्ञापन छापा, 'ग्राहक जागो', और ख़ुद सो गई.
"हम पानी और बीमारियाँ बेचते हैं" - दिल्ली जल बोर्ड
"हमने विजली का निजीकरण किया है, जनताकरण नहीं" - दिल्ली विद्युत बोर्ड
दिल्ली
"दिल्ली देश का सब से हरा भरा, साफ सुथरा और सुंदर शहर है" मनमोहन सिंह
(और किसी दिल्ली को मैं नहीं जानता)
"नागरिक एक दूसरे के प्रति अहिंसा का भाव रखें" पुलिस
(हिंसा हमारा अधिकार है)
मुझ से डरो, मैं वित्तमंत्री हूँ, मेरा काम कर लगाना है, अगर नहीं डरे तो समझ लेना, 'न डरने' पर भी कर लगा दूँगा।
एक मंत्री ने अपने ड्राइवर से पूछा, 'क्या तुम आँख बंद करके कार चला सकते हो?'
ड्राइवर के कहा, 'नहीं'
'अरे तुम इतना भी नहीं कर सकते. हमें देखो, हम आँख बंद करके देश चला रहे हैं' मंत्री बोले
ड्राइवर को गुस्सा आ गया. उसने आँख बंद करके कार चला दी. ............
(.......... आसपास के लोग भागे हुए आए. ड्राइवर को कार से बाहर निकाला, गले लगाया, हार पहनाये और कहा, 'आपने आज धरती का भार हल्का कर दिया'.)
5 comments:
वाह!! सुरेश जी,बातों बातों में हकीकत बयान कर दी।बहुत बढिया पोस्ट लिखी है।बधाई।
Waah ! bahut badhiya....
par yah sirf vyangy nahi haqeeqat bhi hai.
बहुत खुब मजेदार.
धन्यवाद
बहुत ही मजेदार पोस्ट लिखी है आपने.
बधाई स्वीकारें
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